– शिवलिंगीSanskrit – लिङ्गनी, बहुपत्रा, शैवमल्लिका, लिंगसम्भूता, देवी, चण्डा, शिवल्ली, शिवलिङ्गी, चित्रफलाKannada – मलींगानाबल्ली (Malinganaballi), लिङ्गा टोन्डे बल्ली (Linga tonde balli)Gujarati – चीवलिङ्गी (Chivalingi), शिवलिंगी (Shivlingi)Tamil – एवेली (Aiveli), ऐविराली
AUTHENTIC, READABLE, TRUSTED, HOLISTIC INFORMATION IN AYURVEDA AND YOGA
Shivlingi: शिवलिंगी के फायदे, लाभ, उपयोग- Tikeshwar rajnire (knowledge)
शिवलिंगी का परिचय (Introduction of Shivlingi)
आधुनिक जीवनशैली के कुछ प्रमुख अभिशापों में से एक अभिशाप बंध्यत्व यानी बाँझपन का भी है। कॅरियर की होड़, अधिक आयु में विवाह और आधुनिक जीवन के तनावों के कारण स्त्रियों में विशेष रूप से बांझपन की समस्या बढ़ रही है। हमारे आस-पास खर पतवार के रूप में पाए जाने वाले शिवलिंगी के बीजों (shivlingi ke beej) के विधिपूर्वक प्रयोग से स्त्रियां गर्भधारण में सक्षम हो जाती हैं। शिवलिंगी का प्रयोग गर्भाशय के लिए एक अच्छा होता है। शिवलिंगी बीज को सदियों से संतान प्राप्ति के लिए अचूक और सफल नुस्खे के तौर प्रयोग किया जाता रहा है। अगर संतानविहीन दंपत्ती शिवलिंग का इस्तेमाल करते हैं तो उनके लिए ये पौधा एक वरदान है।
शिवलिंगी (shivlingi ke beej) स्वाद में कड़वी, पेट के लिए गरम और दुर्गन्ध वाली होती है। यह शरीर के धातुओं को पुष्ट करती है। यह सभी कुष्ठ रोग को ठीक करने वाली होती है। शिवलिंगी हल्की विरेचक यानी मल निकालने वाली और शरीर को बल देने वाली होती है। इसके फल यौन शक्ति बढ़ाने वाले एवं बलवर्धक तथा बुखार को कम करने वाले होते हैं। शिवलिंगी के बीज (Shivlingi Beej) लीवर, सांस की बीमारी, पाचन तंत्र आदि के लिए भी लाभदायक होते हैं। ये शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं।
शिवलिंगी क्या है? (What is Shivlingi?)
शिवलिंगी (Shivlingi Plant) पेड़ पर चढ़ने वाली एक लता है जो बरसात के दिनों में अत्यधिक मात्रा में पाई जाती है। लता में से बहुत-सी शाखाएं निकली कर चारों ओर फैली हुई होती हैं। इसका तना चिकना, चमकीला तथा शाखाएं सुतली जैसी पतली, धारीदार व रोएंदार होती हैं।
इसके पत्ते करेले के पत्ते जैसे, ऊपर से हरे एवं खुरदरे तथा नीचे से चिकने होते हैं। इसके फूल छोटे और हरे-पीले रंग के होते हैं। इसके फल गोलाकार, चिकने, आठ सफेद धारियों से युक्त होते हैं। कच्चे फल हरे रंग के होते हैं जो पकने पर लाल हो जाते हैं। इसके बीज भूरे रंग के तथा शिवलिंग की आकृति के समान होते हैं।
अनेक भाषाओं में शिवलिंगी के नाम (Names of Shivlingi in Different Languages)
शिवलिंगी (shivlingi beej uses in hindi) का वानस्पतिक यानी लैटिन भाषा में नाम कायापोनिया लैसिनिओसा (Cayaponia laciniosa (Linn.) C. Jeffrey) तथा Syn Bryonopsis laciniosa (Linn.) Naud. Bryonia laciniosa Linn. है। यह कुकुरबिटेसी (Cucurbitaceae) कुल का पौधा है। इसका अंग्रेजी भाषा (Shivlingi in English) में नाम ब्रायोनी (Bryony), इण्डियन ब्रायोनी (Indian bryony), लौलीपोप क्लाइम्बर (Lollipop climber) आदि है। विविध भारतीय भाषाओं में इसका नाम निम्नानुसार हैः-
Shivlingi in –
- Hindi – शिवलिंगी
- Sanskrit – लिङ्गनी, बहुपत्रा, शैवमल्लिका, लिंगसम्भूता, देवी, चण्डा, शिवल्ली, शिवलिङ्गी, चित्रफला
- Kannada – मलींगानाबल्ली (Malinganaballi), लिङ्गा टोन्डे बल्ली (Linga tonde balli)
- Gujarati – चीवलिङ्गी (Chivalingi), शिवलिंगी (Shivlingi)
- Tamil – एवेली (Aiveli), ऐविराली (Aivirali)
- Telugu – लिङ्गडोन्डा (Lingadonda)
- Bengali – शिवलिङ्गनी (Shivalingani), माला (Mala)
- Nepali – शिवलिंगी (Shivlingi)
- Marathi – कावाडोरी (Kavadori), वाडुबल्ली (Vaduballi), शिवलिंगी पोपटी (Shivlingi popti)
- Malayalam – नीओहमाका (Neohmaka), नीओहमाकी (Niyohamaki)
शिवलिंगी के फायदे (Shivlingi Benefits and Uses in Hindi)
शिवलिंगी (shivlingi seeds) गर्भधारण की एक प्रमुख औषधि है। इसके अलावा यह बुखार, चर्म रोगों और पुरुष यौन शक्ति को बढ़ाने में भी उपयोगी है। विभिन्न रोगों में इसके प्रयोग और सेवन की विधि यहाँ दी जा रही है।
पाचनतंत्र विकार में करें शिवलिंगी का प्रयोग (Shivlingi Beej Benefits in Indigestion in Hindi)
शिवलिंगी के बीज (Shivlingi ke Beej) आँतों को सक्रिय बनाते हैं। इनका सेवन करने से आँतों से मल सरकता रहता है और कब्ज नहीं हो सकता। इसलिए इसका प्रयोग अपच तथा एसिडिटी आदि की चिकित्सा में किया जाता है।
प्लीहा (तिल्ली) की वृद्धि ठीक करे शिवलिंगी का सेवन (Shivlingi Benefits in Spleen Enlargement in Hindi)
प्लीहा यानी तिल्ली के बढ़ने से टायफायड यानी मियादी बुखार होता है। मियादी बुखार को ठीक करने के लिए बढ़ी हुई तिल्ली को ठीक करना आवश्यक होता है। शिवलिंगी की जड़ को पानी में घिसकर पिलाने से प्लीहा वृद्धि यानी बढ़ी हुई तिल्ली ठीक होती है।
गर्भधारण विकार में शिवलिंगी का सेवन लाभदायक (Shivlingi Seed Powder Helps in Pregnancy Disorder in Hindi)
प्रजनन का सीधा संबंध अंडाणुओं और शुक्राणुओं की संख्या और स्वास्थ्य से है। शिवलिंगी के बीज (Shivlingi ke Beej) ओवेरियन रिजर्व (Ovarian Reserve) जैसी समस्याओं को दूर करते हैं और मासिक धर्म को नियमित करते हैं। इसके बीज चूर्ण का प्रयोग (Shivlingi Beej Uses in Hindi) गर्भधारण हेतु किया जाता है।
कई महात्मा लोग स्त्री या पुरुष को संतान की प्राप्ति के लिए मासिक धर्म के 4 दिन बाद से 1 माह तक सुबह-शाम शिवलिंगी के बीज एक ग्राम की मात्रा में खाली पेट दूध के साथ सेवन कराते हैं।
जिनको पुत्र प्राप्ति (Shivlingi Beej For Male Child In Hindi) की कामना है, उन्हें बछिया वाली गाय के दूध के साथ सेवन करना अच्छा होता है। जिन्हें स्त्री संतान यानी लड़की प्राप्ति की कामना है उन्हें बछड़ी वाली गाय के दूध के साथ इसका सेवन करना होता है।
जिन महिलाओं को गर्भ न ठहरता हो अर्थात बार-बार गर्भ गिर जाता हो, वे मासिक धर्म के बाद शिवलिंगी के एक बीज से शुरुआत करके प्रत्येक दिन एक बीज बढ़ाते हुए 21 दिन तक सेवन करें। इससे गर्भ ठहर जाता है एवं गर्भ नहीं गिरता।
शिवलिंगी बीज आधा ग्राम तथा पुत्रजीवक बीज एक ग्राम (Shivlingi Beej And Putrajeevak Benefits In Hindi) दोनों को मिला लें। इसे पीसकर बराबर भाग में मिश्री मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से बांझपन की समस्या में लाभ होता है तथा स्त्री गर्भ-धारण के योग्य बन जाती है। (अनेक बार चिकित्सकीय परीक्षण सही होने पर भी गर्भ धारण नहीं हो पाता; उनके लिए यह एक सैंकड़ों बार परीक्षण किया गया प्रयोग है)।
शिवलिंगी
संतान को स्वस्थ बनाए गर्भावस्था में शिवलिंगी का इस्तेमाल (Benefits of Shivlingi Beej During Pregnancy)
शिवलिंगी के बीजों का प्रयोग पुत्र प्राप्ति (Shivlingi Beej For Male Child) के साथ साथ संतान को स्वस्थ और तेजस्वी बनाने के लिए भी किया जाता है। शिवलिंगी का सेवन गर्भावस्था (shivlingi beej during pregnancy) में करने से गर्भस्थ शिशु को सभी प्रकार का पोषण मिलता है और उसका स्वास्थ्य अच्छा होता है।
श्रेष्ठ और स्वस्थ संतान पाने के लिए पुत्रजीवक, नागकेसर, पारस पीपल के बीज और शिवलिंगी की समान मात्रा लें। इसे सूखा पीस कर बारीक चूर्ण बना लें। इसका आधा चम्मच गाय के दूध के साथ गर्भवस्था के दौरान सात दिनों तक सेवन करें। इससे गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य अच्छा (shivlingi beej benefits) होता है।
सूतिका ज्वर (बुखार) में शिवलिंगी के उपयोग से फायदा (Shivlingi Cures After Delivery Fever in Hindi)
प्रसूति के बाद स्त्री के शरीर में कमजोरी आ जाती है जिसके कारण कई बार उसे ज्वर यानी बुखार भी आ जाता है। इस अवस्था में शिवलिंगी के पंचांग के चूर्ण का 2-4 ग्राम की मात्रा में सेवन कराने से सूतिका ज्वर (बुखार) ठीक (shivlingi beej benefits) होता है।
शिवलिंगी के बीज (shivlingi seeds) तथा पंचांग को उबालकर पीने से गर्भाशय की सूजन तथा पेट की सूजन ठीक होती है।
सामान्य प्रसव के लिए शिवलिंगी का प्रयोग लाभदायक (Shivlingi Helps in Normal Delivery in Hindi)
आज के समय में सीजेरियन यानी ऑपरेशन से संतानोत्पत्ति काफी सामान्य बात हो गई है, लेकिन इसका स्त्री के स्वास्थ्य पर काफी खराब असर पड़ता है। सामान्य प्रसव कराने के लिए आयुर्वेद में अनेक विधान हैं। पुष्य नक्षत्र में लाई हुई शिवलिंगी की जड़ को स्त्री की कमर में बांधने से प्रसव आसानी (सुखपूर्वक) (shivlingi seeds) से होता है।
कुष्ठ रोग में शिवलिंगी से लाभ (Shivlingi Benefits in Leprosy in Hindi)
शिवलिंगी फल के रस में लाल चन्दन को घिसकर लगाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
बुखार ठीक करे शिवलिंगी का सेवन (Shivlingi Uses in Fighting with Fever in Hindi)
शरीर में पित्त यानी एसिडिटी के बढ़ने से अनेक रोग होते हैं, जिनमें बुखार भी एक है। शिवलिंगी पंचांग का रस (5-10 मिली) को चीनी मिले हुए गाय के दूध के साथ पिलाने से पित्त बढ़ने के कारण होने वाला बुखार ठीक होता है।
टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने में शिवलिंगी का सेवन फायदेमंद (Shivlingi Uses to Boost Testosterone Level in Hindi)
एक रिसर्च के अनुसार शिवलिंगी टेस्टोस्टेरोन को बूस्ट करने में मदद करते है साथ ही आयुर्वेद अनुसार इनमे वाजीकरण का गुण होने के कारण यह शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करते है।
यौन शक्ति बढ़ाने में फायदेमंद शिवलिंगी (Benefit of Shivlingi help to boost Sexual Boost in Hindi)
शिवलिंगी के वाजीकरण गुण होने के कारण यह यौन शक्ति बढ़ाने में भी मदद करती है। इसके सेवन से दाम्पत्य जीवन में सुखलाभ होता है।
कब्ज के इलाज में फायदेमंद शिवलिंगी (Benefit of Shivlingi to Get Relief from Constipation in Hindi)
पाचन तंत्र का अनियमित रूप से काम करना एवं खाने का ठीक प्रकार से पाक न हो पाना ही कब्ज़ जैसी समस्याओं का कारण बनता है। ऐसे में शिवलिंगी के बीज के सेवन से इस समस्या को दूर करने में मदद मिलती है क्योंकि इनमे उष्ण एवं लघु गुण पाया जाता है जो कि खाना को पचने में आसान एवं पाचन को स्वस्थ करता है।
वजन घटाने में मददगार शिवलिंगी का सेवन (Shivlingi Beneficial in Weight Loss in Hindi)
वजन बढ़ने का मुख्य कारण भी पाचन का अस्वस्थ होना ही देखा गया है। ऐसे में शिवलिंगी के बीज जो कि उष्ण होने के कारण पाचन को स्वस्थ करते हैं जिससे वजन को भी नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
शिशु के स्वास्थ्य को बेहतर करने में शिवलिंगी फायदेमंद (Shivlingi Beneficial in Kids health in Hindi)
शिवलिंगी में रसायन गुण पाए जाने के कारण यह शिशुओं एवं बड़ो दोनों के स्वास्थ्य को स्वस्थ बनाये रखने में सहयोगी होता है।
ब्लड में मेन लिपिड को लेवल को कम करने में लाभकारी शिवलिंगी (Shivlingi Beneficial to Treat Low Lipid range in Hindi)
एक रिसर्च के अनुसार शिवलिंगी के बीजों में एंटी हाइपरलिपिडेमिक गुण पाया जाता है जो कि शरीर में बढ़े हुए लिपिड की मात्रा को भी नियंत्रित करने में मदद करता है।
इस्तेमाल के लिए शिवलिंगी के उपयोगी हिस्से (How to Use Shivlingi?)
बीज (shivlingi seeds)
जड़
पत्ते
पञ्चाङ्ग
शिवलिंगी के सेवन की मात्रा (How Much to Consume Shivlingi)
शिवलिंगी बीज का चूर्ण – 2-4 ग्राम
रस – 5-10 मिली
अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार शिवलिंगी का इस्तेमाल करें।
शिवलिंगी सेवन से नुकसान (Side Effects of Shivlingi Beej)
हालाँकि शिवलिंगी बीज का सेवन करने का कोई दुष्परिणाम अभी तक सामने नहीं आया है, लेकिन फिर भी किसी भी औषधि का सेवन उपयुक्त मात्रा में ही करना चाहिए, अधिक नहीं। ऐसी औषधियों का प्रयोग चिकित्सक से परामर्श करके ही करना उचित होता है।
शिवलिंगी कहाँ पाया या उगाया जाता है (Where is Shivlingi Found or Grown?)
शिवलिंगी का पौधा (Shivlingi Plant) समस्त भारत के हिमालयी क्षेत्रों में खरपतवार के रूप में पाया जाता है तथा कई स्थानों पर इसकी खेती की जाती है। अधिकांश जंगलों में यह आसानी से मिल जाता है।
टिप्पणियाँ