Sanskrit-रक्त चम्पा, क्षीरचम्पक (रक्त);Hindi-गुलापची, गोलेंची, गोपुरचम्प, चमेली;Oriya-कार्ट चम्पा (Cart champa), गोलोन्ची (Golonchi);Konkani-चँपे (Chaempae);Kannada-कडुसम्पिगे (Kadu sampige);Gujrati-चम्पो (Champo), गुलेचीन (Gulechin);Tamil-सेगप्पु अराली (Segappu arali), अराली (Arali);Telugu-अदावीगन्नेरु (Adaviganneru), वडागन्नेरु (Vadaganneru);Bengali-दलनफूल (Dalanphul);


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Ksheer Champa: ईष्वर का वरदान है क्षीर चम्पा- (knowledge)


क्षीर चम्पा का परिचय (Introduction of Ksheer Champa )

क्षीर चम्पा के नाम से शायद कम ही लोग परिचित होंगे। हिन्दी में क्षीर चम्पा को गुलचीन कहते हैं। क्षीर चंपा का फूल पूरे साल खिलता है और यह इस वृक्ष का फूल  बाहर की ओर सफेद और भीतर से हल्का पीले रंग का होता है। क्षीर चंपा त्वचा संबंधी बीमारियों और वात संबंधी रोगों के लिए घरेलू उपचार में बहुत फायदेमंद होता है। क्षीर चंपा या गुलचीन के गुण और फायदों के बारे में विस्तार से जानने के पहले इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

क्षीर चंपा या चमेली का फूल क्या होता है? (What is Champa Flower in Hindi)

भारत में गुलचीन या चमेली के फूल को मंदिरों व बगीचों में सुगंधित फूल पाने के लिए लगाया जाता है। फूलों के आधार पर इसकी दो प्रजातियां होती हैं। 1. क्षीर चम्पा रक्त (Plumeria rubra Linn.) 2. क्षीर चम्पा श्वेत (Plumeria alba Linn.)। इसके पूरे भागों में सफेद रंग का दूध जैसा पदार्थ होता है। इसका आक्षीर या दूध अत्यन्त विषाक्त तथा शरीर से अवांछित पदार्थ निकालने वाला होता है।  

  1. क्षीर चम्पा रक्त (Plumeria rubra Linn.)-
  2. क्षीर चम्पा श्वेत (Plumeria alba Linn.)-यह 4.5 मी ऊँचा, छोटे आकार का सदाबहार पेड़ होता है। इसके तने फूले हुए एवं मांसल होते हैं। इसके पत्ते शाखाओं के अंत पर गुच्छों में, गोलाकार या ऊपर की ओर लंबे तथा स्पष्ट शिराओं से युक्त होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के, बीच में पीले रंग के सुगन्धित होते हैं। इसके फल रेखित, बड़े अथवा नुकीले होते हैं। यह पूरे साल फलता-फूलता है।

रक्त क्षीर चम्पा

इसकी जड़ की छाल थोड़ी कड़वी, कसैला, खाने की इच्छा बढ़ाने वाली, शक्तिवर्द्धक, पसीना निकालने वाली तथा सूजन कम करने में लाभकारी होती है।

इसका निर्यास पूयरोधी यानि एंटीसेप्टिक, बुखार, अजीर्ण या अपच, विसूचिका या हैजा पूयमेह, क्षत यानि कटने छिलने तथा ज्वरनाशक होता है।

श्वेत क्षीर चम्पा

क्षीर चम्पा प्रकृति से  कषाय, तिक्त, कटु, उष्ण, कफवातशामक, दस्तावर, शोथघ्न, कुष्ठ, कण्डू, व्रण, शूल, उदररोग तथा आध्मान शामक होती है।

सफेद चंपा के तने की छाल कड़वी,तीखी रेचक यानी लैक्सिटिव, डायूरेटिक,सूजन, वात तथा बुखार कम करने  वाली होती है। इसके जड़ की त्वचा विरेचक गुण वाली होती है।

इसके बीज रक्तस्तम्भक यानि रक्त का थक्का बनने में मदद करते हैं।

अन्य भाषाओं में क्षीर चंपा या चमेली के फूल के नाम (Name of Champa Flower in Different Languages)

चमेली का वानास्पतिक नाम Plumeria rubra Linn. (प्लमैरिया रूब्रा) Syn-Plumeria acuminata W.T. Aiton है। क्षीर चंपा Apocynaceae (एपोसाइनेसी) कुल का है और इसको अंग्रेजी में Pagoda tree (पैगोडा ट्री) कहते हैं। भारत के विभिन्न प्रांतों में क्षीर चंपा को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है।

Ksheer Champa in-

Sanskrit-रक्त चम्पा, क्षीरचम्पक (रक्त);

Hindi-गुलापची, गोलेंची, गोपुरचम्प, चमेली;

Oriya-कार्ट चम्पा (Cart champa), गोलोन्ची (Golonchi);

Konkani-चँपे (Chaempae);

Kannada-कडुसम्पिगे (Kadu sampige);

Gujrati-चम्पो (Champo), गुलेचीन (Gulechin);

Tamil-सेगप्पु अराली (Segappu arali), अराली (Arali);

Telugu-अदावीगन्नेरु (Adaviganneru), वडागन्नेरु (Vadaganneru);

Bengali-दलनफूल (Dalanphul);

Nepali-गलैंची (Galanchi);

Marathi-सोनचम्पा (Sonchampa), खैरचम्पा (Khairchampa);

Malayalam-अराली (Arali), कुम्कुमापूव (Kumkumapoov);

Manipuri-खागी लैहाओ (Khagi leihao)।

English-टैम्पल ट्री (Temple tree), ट्री प्रैंन्जीपनी (Tree frangipani), रेड प्रैंन्जीपनी (Red frangipani)।

श्वेत क्षीर चम्पा (Plumeria alba Linn.) के नाम

Sanskrit-क्षीरचम्पा, कानन करवीर;

Hindi-गुलचीन, श्वेत क्षीर चम्पा;

Oriya-कालचम्पा (Kalchampa);

Kannada-हालुसम्पीगे (Haalusampige);

Gujrati-राचेम्पो (Rhachampo);

Tamil-पेरुमल अराली (Perumall arali), पेरु (Peru), सीमाइअराली (Seemaiarali);

Telugu-वेयवी वरहालु (Veyyivarahalu), अदावी-गन्नेरु (Adavi-ganneru);

Marathi-खैर चम्पा (Khair champa);

Bengali-कथागोलोप (Kathgolop), गोरु चम्पा (Goru champa);

Malayalam-वेल्ला चम्पकम (Vella champakam)।

English-व्हाईट चम्पा (White champa), व्हाईट प्रैंन्जीपनी (White frangipani), व्हाईट प्लमैरिया (White plumeria), West Indian jasmine (वेस्ट इण्डियन जैसमीन)।

क्षीर चम्पा के फायदे (Champa Flower Uses and Benefits in Hindi)

आयुर्वेद में क्षीर चंपा का उपयोग औषधि के रूप में सबसे ज्यादा किया जाता है। चलिये जानते हैं कि चमेली के फूल का इस्तेमाल कैसे और किन-किन बीमारियों के लिए किया जाता है।

त्वचा संबंधी समस्याओं में चमेली के फूल के फायदे (Champa Flower Beneficial in Skin Diseases in Hindi)

आजकल के तरह-तरह के नए-नए कॉज़्मेटिक प्रोडक्ट के दुनिया में त्वचा रोग होने का खतरा भी दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। चमेली के फूल के द्वारा बनाये गए घरेलू उपाय चर्म या त्वचा रोगों से निजात दिलाने में मदद करते हैं। क्षीर चम्पा के जड़ की छाल को पीसकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरता है तथा कुष्ठ, दद्रु यानि रिंगवर्म व खुजली में अत्यन्त लाभ होता है।

कंडु या खुजली में क्षीरचंपा के फायदे (Benefits of Ksheer Champa to Treat Pruritus in Hindi)

आजकल के प्रदूषण भरे वातावरण में त्वचा संबंधी रोग होने का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। हर कोई किसी न किसी त्वचा संबंधी परेशानी से ग्रस्त हैं। चमेली के फूल इन सब परेशानियों को कम करने में मदद करती है। क्षीर चम्पा के पत्ते के जूस में चंदन तेल तथा कपूर मिलाकर खुजली पर लगाने से अत्यन्त लाभ होता है।

सूजन करे दूर चमेली के फूल (Benefits of Champa Flower to Treat Inflammation in Hindi)

अगर किसी चोट के कारण या बीमारी के वजह से किसी अंग में हुए सूजन से परेशान है तो क्षीर चंपा के द्वारा किया गया घरेलू इलाज बहुत ही फायदेमंद होता है। क्षीर चम्पा की छाल को पीसकर लगाने से सूजन कम हो जाती है।

घाव भरने में क्षीर चंपा के फायदे (Ksheer Champa Heals Wound in Hindi)

कभी-कभी घाव सूखने में बहुत देर लगता है तब चमेली के फूल का औषधीय गुण घाव को भरने में मदद करता है। सफेद चम्पा के पौधे से प्राप्त आक्षीर या दूध को घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरता है।

विसर्प या हर्पिज में फायदेमंद क्षीर चंपा (Ksheer Champa Benefits in Herpes in Hindi)

हर्पिज के दर्द, जलन से जल्दी आराम दिलाने में चमेली के फूल बहुत फायदेमंद होते हैं। क्षीर चंपा के जड़ की छाल को पीसकर विसर्प में लगाने से लाभ होता है।

आमवात या रूमेटाइड अर्थराइटिस में क्षीर चंपा के फायदे (Ksheer Champa Benefits to Get Relief from Rheumatoid pain In Hindi)

आजकल अर्थराइटिस की समस्या उम्र देखकर नहीं होती है। दिन भर एसी में रहने के कारण या बैठकर ज्यादा काम करने के कारण किसी भी उम्र में इस बीमारी का शिकार होने लगे हैं। इससे राहत पाने के लिए चमेली के फूल का इस्तेमाल ऐसे कर सकते हैं। पौधे से प्राप्त आक्षीर या दूध को लगाने से आमवात में लाभ होता है।

संधिशूल या जोड़ों के दर्द में फायदेमंद क्षीरचंपक (Ksheer Champa Beneficial in Arthritis in  Hindi)

अक्सर उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों में दर्द होने की परेशानी शुरू हो जाती है लेकिन क्षीरचंपक का इस्तेमाल करने से इससे आराम मिलता है। क्षीरचम्पक की छाल को पीसकर लगाने से जोड़ो के दर्द वाले स्थान पर लगाने से लाभ मिलता है।

गठिया के दर्द से दिलाये राहत क्षीरचंपक (Ksheer Champa Benefits in Gout in Hindi)

अगर गठिया के दर्द से परेशान रहते हैं तो सफेद चम्पा के पौधे से प्राप्त आक्षीर (Latex) को लगाने से गठिया में लाभ होता है।

छाती संबंधी रोगों में फायदेमंद चमेली के फूल (Benefits of Champa Flower in Chest Diseases in Hindi)

चम्पक के फूल को पीसकर छाती पर लेप करने से छाती के बीमारियों से जल्दी आराम मिलता है। इसके लिए चम्पा के फूल के इस्तेमाल करने का तरीका और मात्रा सही होना ज़रूरी होता है।

बवासीर में चमेली के फूल के फायदे (Champa Flower Benefits in Piles in Hindi)

पाइल्स के मस्सों के परेशानी से चमेली के फूल का औषधीय गुण राहत दिलाने में बहुत लाभकारी होता है। क्षीरचम्पक के पत्ते को पीसकर अथवा पत्तों या इसके तने से प्राप्त आक्षीर (दूध) को अर्श के मस्सों पर लगाने से लाभ होता है।

रतिज रोग में क्षीर चंपा के फायदे ( Ksheer Champa Benefits in Antivenereal in Hindi)

रतिज रोग को सेक्चुअल ट्रांसमिटेड डिज़ीज कहते हैं। चंपा का औषधीय गुण इस रोग से राहत दिलाने में फायदेमंद होता है। क्षीरचम्पक जड़ का काढ़ा बनाकर 5-10 मिली मात्रा में पिलाने से रतिज रोगों में लाभ होता है।

योनी शूल में चंपा के फायदे (Champa Flower Benefits to Get Relief from Vaginal Pain in Hindi)

किसी बीमारी के कारण या दूसरे वजह से वैजाइना में दर्द हो रहा है तो चंपा का घरेलू इलाज फायदेमंद हो सकता है। सफेद चम्पा के जड़ की छाल को पीसकर योनि में लगाने से योनि का दर्द दूर  होता है।

उपदंश से दिलाये राहत क्षीरचंपा (Ksheer Champa Beneficial in Chancre in Hindi)

उपदंश मतलब जननांग यानि जेनिटल पार्ट्स में घाव जैसा हो जाता है, लेकिन इस घाव में दर्द नहीं होता है। सफेद चम्पा के 2-4 फूलों को पानी में पीस छान कर पिलाने से उपदंश में लाभ होता है।


अल्सर में फायदेमंद चमेली के फूल (Benefits of Champa Flower in Ulcer in Hindi)

कभी-कभी अल्सर का घाव सूखने में बहुत देर लगता है या फिर सूखने पर पास ही दूसरा घाव निकल आता है, ऐसे में चमेली के फूल का इस्तेमाल बहुत ही फायदेमंद होता है। सफेद चमेली जड़ से तेल को पकाकर व्रण में लगाने से व्रण या अल्सर जल्दी ठीक होता है। इसके अलावा सफेद चम्पा के पत्तों को पीसकर व्रण में लगाने से व्रण का रोपण होता है।

दाद में फायदेमंद क्षीर चंपा (Ksheer Champa Beneficial in Ringworm in Hindi)

क्षीर चंपा का औषधीय गुण दाद में बहुत में लाभकारी होता है। पौधे से प्राप्त आक्षीर में चंदन का तेल मिलाकर लगाने से दाद, खाज तथा खुजली में लाभ होता है।

मलेरिया में बुखार से दिलाये राहत क्षीर चंपा (Ksheer Champa Beneficial in Fever in Hindi)

मलेरिया से बुखार के लक्षणों आराम दिलाने में क्षीर चंपा का औषधीय गुण फायदेमंद होता है। क्षीर चम्पक के 1 फूल को पान में रखकर चबाने से मलेरिया बुखार कम होता है।

गांठ में क्षीर चंपा के फायदे (Ksheer Champa  Beneficial in Lump in Hindi)

गांठ तथा सूजन पर क्षीरचम्पा की छाल को पीसकर लेप करने से तथा ऊपर से इसके गर्म पत्ते बांधने से बहुत लाभ होता है। इसके अलावा  श्वेत चम्पा के पत्तों का सेंक या पत्तों को उबालकर बफारा देने से शरीर पर जहां गांठ हुआ है या सूजन हुई है वह कम होने लगता है।

क्षीर चंपा या चमेली के फूल का उपयोगी भाग (Useful Parts of Champa Flower or Ksheer Champa)

आयुर्वेद में क्षीर चंपा के जड़, जड़ की छाल, तने की छाल, पत्ता, शाखाएँ, फूल तथा दूध का औषधि के रुप में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।

क्षीर चंपा या चमेली के फूल का इस्तेमाल कैसे किया जाता है? (How to Use Champa Flower or Ksheer Champa in Hindi?)

बीमारी के लिए क्षीर चंपा या चमेली के फूल के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए चमेली के फूल का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें। चिकित्सक के परामर्शानुसार-

-3-6 ग्राम चूर्ण

-20-30 मिली  काढ़े का सेवन कर सकते हैं।

क्षीर चंपा कहाँ पाया या उगाया जाता है? (Where Champa Flower is found or grown in Hindi?)

यह मूलत उष्णकटिबंधीय अमेरिका, मैक्सिको एवं पनामा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त विश्व में वेस्टइण्डीज, गुआना एवं इक्वाडोर में भी पाया जाता है। भारत में मंदिरों व उद्यानों में सुंधित पुष्प के लिए लगाया जाता है।


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