Hindi – गम्भारी, खम्भारि, कम्भार, गम्भार, गम्हार, कुम्हार, कासमरEnglish – वाइट टीक (White teak), कश्मीर ट्री (Kashmir tree), कूम्ब टीक (Coomb teak)Sanskrit – गम्भारी, भद्रपर्णी, श्रीपर्णी, मधुपर्णिका, काश्मरी, सर्वतोभद्रा, काश्मर्य, पीतरोहिणी, कृष्णवृन्ता, महाकुसुमिकाAssamese – गोमरी (Gomari)Oriya – भोद्रोपोरन्नी (Bhodropornni), गम्भारी (Gambhari), गॉम्भारी (Gaumbhari)Konkani – कोंकणी-नीउवॉन (Niuvan), सोवॉनी (Sovony)Kannada – शिवानी (Shivani), बचनीगे (Bachanige), गुप्सी (Gupsi), काश्मीरी (Kashmiri)Garhwali – गम्भर (Gambhar), गम्भारी (Gambhari)Gujarati – शिवण (Shivan), सवन (Savan), सिक्म (Sikm), सिवन (Sivan) Telugu – अडावीगुम्मुडु (Adavigummudu), पेड्डगुमुडु (Peddagumuddu)Tamil – गुमड़ी (Gumadi), कट्टनम (Kattanam), कुमील (Kumil)Bengali – गामार गाछ (Gamar gaccha), गुम्बार (Gumbar)Nepali – गम्बारी (Gambari), खमरी (Khamri)Punjabi – गुम्हर(Gumhar), कुम्हर (Kumhar)Marathi – शिवण (Shivan), गमर (Gamar),
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Gambhari: गंभारी के हैं ढेर सारे फायदे- (knowledge)
शायद आप गंभारी के बारे में बहुत अधिक नहीं जानते होंगे। गंभारी एक बहुत ही गुणी औषधि है। गंभारी का प्रयोग रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। बहुत सालों से आयुर्वेदिक चिकित्सक गंभारी का उपयोग कर लोगों को स्वस्थ करने का काम कर रहे हैं। गम्भारी (Gambhari Plant) का उल्लेख आयुर्वेद में विभिन्न स्थानों में मिलता है। आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
ग्रंथों में यह बताया गया है कि गम्भारी का प्रयोग सूजन दूर करने, वात को शांत करने के लिए किया जाता है। गम्भारी (gambhari fruit) त्वचा रोग को ठीक करती है। यह पाचन तेज करती है, काम भावना को बढ़ाती है, शारीरिक ताकत देती है। यह खून की समस्याओं के लिए उत्तम औषधि है। इसके सेवन से कीड़ों से होने वाला रोग, दाद-खाज जैसे चर्म रोग तथा कुष्ठ इत्यादि बीमारियां तुरंत ठीक हो जाते हैं। आइए जानते हैं कि आप इन रोगों में गंभारी का प्रयोग (shriparni tree) कैसे कर सकते हैं।
गंभारी क्या है? (What is Gambhari?)
गंभारी के पौधे (Gambhari Plant) की पत्तियाँ चिकनी और ठंडी होती हैं। इसकी छाल भी सूजन दूर करती है। छाल स्वाद में कड़वी लेकिन पौष्टिक होती है। गंभारी के बीजों का तेल मीठा और कसैला दोनों होता है। यह तेल कफ-पित्त को नियंत्रित करती है।
गंभारी के पत्तों में मधु जैसा मीठा रस होता है। इस कारण इसे मधुपर्णिका भी कहते हैं। पत्ते सुन्दर होने के कारण इसे श्रीपर्णी कहा जाता है। इसके फूल पीले होते हैं। इस कारण इसे पीतरोहिणी नाम से भी जाना जाता है। गंभारी (shriparni tree) तीनों दोषों (वात, पित्त, कफ) को नियंत्रण में रखने में मदद करती है। गंभारी की दो प्रजातियां होती है।
- गम्भारी
- पानीय गम्भार
कई स्थानों पर गंभारी के स्थान पर पानीय गम्भार का भी प्रयोग किया जाता है। यह दोनों प्रजातियाँ गुण एवं कर्म में लगभग समान होती हैं।
अनेक भाषाओं में गंभारी के नाम (Name of Gambhari in Different Languages)
गंभारी वर्बीनेसी Verbenaceae) कुल का पौधा (gambhari tree) है। इसका वानस्पतिक (वैज्ञानिक) नाम मेलाइना आर्बोरिया (Gmelina arborea Roxb.) है। वनस्पति विज्ञान में इसे Gmelina sinuata Lin. भी कहा जाता है। गंभारी को अंग्रेजी में Malay beech wood (मलय बीच वुड) कहते हैं। अंग्रेजी में इसके लिए व्हाईट टीक (White teak), कश्मीर ट्री (Kashmir tree), कूम्ब टीक (Coomb teak) जैसे नाम भी प्रयोग किये जाते हैं। आइये, जानते हैं कि हिंदी समेत अन्य भाषाओं में गंभारी के नाम क्या क्या हैं:-
Gambhari in –
- Hindi – गम्भारी, खम्भारि, कम्भार, गम्भार, गम्हार, कुम्हार, कासमर
- English – वाइट टीक (White teak), कश्मीर ट्री (Kashmir tree), कूम्ब टीक (Coomb teak)
- Sanskrit – गम्भारी, भद्रपर्णी, श्रीपर्णी, मधुपर्णिका, काश्मरी, सर्वतोभद्रा, काश्मर्य, पीतरोहिणी, कृष्णवृन्ता, महाकुसुमिका
- Assamese – गोमरी (Gomari)
- Oriya – भोद्रोपोरन्नी (Bhodropornni), गम्भारी (Gambhari), गॉम्भारी (Gaumbhari)
- Konkani – कोंकणी-नीउवॉन (Niuvan), सोवॉनी (Sovony)
- Kannada – शिवानी (Shivani), बचनीगे (Bachanige), गुप्सी (Gupsi), काश्मीरी (Kashmiri)
- Garhwali – गम्भर (Gambhar), गम्भारी (Gambhari)
- Gujarati – शिवण (Shivan), सवन (Savan), सिक्म (Sikm), सिवन (Sivan)
- Telugu – अडावीगुम्मुडु (Adavigummudu), पेड्डगुमुडु (Peddagumuddu)
- Tamil – गुमड़ी (Gumadi), कट्टनम (Kattanam), कुमील (Kumil)
- Bengali – गामार गाछ (Gamar gaccha), गुम्बार (Gumbar)
- Nepali – गम्बारी (Gambari), खमरी (Khamri)
- Punjabi – गुम्हर(Gumhar), कुम्हर (Kumhar)
- Marathi – शिवण (Shivan), गमर (Gamar), काश्मरी (Kashmari), शेवून (Shevoon)
- Malayalam – कुम्बिल(Kumbil), कुमील (Kumil);
- Rajsthani – राजस्थानी-सेवन (Sevan)
गंभारी के फायदे और उपयोग (Benefits and Uses of Gambhari in Hindi)
आप इन रोगों में गंभारी (shriparni tree) का इस्तेमाल करेंगे तो आपको बहुत फायदा होगाः-
सिर के दर्द में फायदेमंद गम्भारी का उपयोग (Uses of Gambhari to Get Relief from Headache in Hindi)
गंभारी (gambhari fruit) में बुखार और दर्द आदि दूर करने के गुण होते हैं। इसकी पत्तियों को पीसकर सिर पर लेप करने से बुखार के कारण होने वाला सिरदर्द तो दूर होता ही है, साथ ही जलन और सिर का भारीपन से भी छुटकारा मिलता है।
गंभारी के प्रयोग से बालों की समस्या (सफेद बालों की परेशानी) का इलाज (Uses of Gambhari for Grey Hair in Hindi)
यदि बाल असमय पकने लगे हों तो गम्भारी आपकी परेशानी दूर कर सकती है। इसके तेल की 1 से 2 बूँद नाक में डालते रहने से बालों का पकाना रुक जाता है।
गंभारी के इस्तेमाल से फेफड़ों की परेशानी का इलाज (Benefits of Gambhari to treat Lungs Disease in Hindi)
फेफड़े तथा फेफड़े के कवच में किसी तरह की समस्या आने पर गंभारी का काढ़ा उपयोगी होती है। इस काढ़ा की 10 से 30 मिली लीटर की मात्रा नियमित रूप से पीने से फेफड़ों की समस्याएं ठीक होती हैंं।
पेचिश (खूनी दस्त) में गम्भारी का उपयोग लाभदायक (Gambhari Benefits to Stop Dysentery in Hindi)
खूनी दस्त या पेचिश में गंभारी का सेवन लाभदायक होता है। गम्भारी के ताजे फलों (gambhari fruit) को कूटकर उसका रस निकाल लें। दिन में 3-4 बार इस रस का 1-1 चम्मच सेवन करें। कुछ दिन तक लगातार पीने से तो खूनी दस्त या पेचिश रुक जाती है।
गंभारी के फलों (gambhari fruit) से रस बनाकर, इसमें अनार का रस तथा शक्कर मिलाकर पीने से खूनी दस्त तथा पेचिश में लाभ होता है।
पेट के रोग में गम्भारी का सेवन फायदेमंद (Gambhari Uses in Cure Stomach Problem in Hindi)
- खाना ठीक से नहीं पचता हो या पाचन धीमा हो गया हो तो ऎसी स्थिति में गंभारी की जड़ का सेवन करना चाहिए। 3 ग्राम जड़ की चूर्ण को सुबह-शाम सेवन करने से पाचन ठीक हो जाता है।
- गंभारी की जड़ का 40 मिली काढ़ा बना लें। इसे सुबह शाम सेवन करने से यह पेट की बीमारी में फायदा (gambhari fruit uses) मिलता है। ये दोनों ही योग गैस बनने या पेट में कीड़े होने आदि की स्थिति में भी लाभ देते हैं।
- सभी प्रकार के सूजन कम करने में भी इस चूर्ण और काढ़ा से मदद मिलाती है। इसके साथ ही पेट में दर्द होने पर गंभारी की जड़ का 3 ग्राम चूर्ण सेवन करने से आराम मिलता है।
अत्यधिक प्यास लगने की समस्या में करें गम्भारी का सेवन (Uses of Gambhari in Excessive Thirsty Problem in Hindi)
यदि आपको बहुत अधिक प्यास ज्यादा लग रही हो तो गम्भारी के 20 से 40 मिली काढ़ा में शक्कर मिलाकर पीने से प्यास कम होने लगती है।
काढ़ा न हो तो इसके 5 से 10 मिली रस का सेवन शक्कर के साथ करने से भी यह लाभ होता है।
गम्भारी के प्रयोग से पाएं खूनी बवासीर में आराम (Benefits of Gambhari to Get Relief from Piles in Hindi)
गम्भारी की छाल, आँवला का फल तथा लाल कचनार बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। इस काढ़ा से बने खड्यूष में अनार, इमली आदि फलों के रस को मिलाकर सेवन करने से खून का थक्का बनने लगता है।
इस तरह इस औषधि के प्रयोग से खूनी बबासीर में आराम मिलता है।
गंभारी के इस्तेमाल से बनते हैं स्तन सुडौल (Gambhari Benefits in Laxity of Breasts in Hindi)
गम्भारी स्तनों को सुडौल एवं पुष्ट बनाता है। इसके लिए 2 किलोग्राम गंभारी छाल को कूटकर 16 लीटर जल में मिलाकर उबालें। एक चौथाई बचने तक उबाल कर काढ़ा बना लें। 250 ग्राम छाल को पानी के साथ पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट और काढ़ा में 1 लीटर तिल का तेल मिलाकर तेल को पका लें। इस तेल में रूई को भिगोकर स्तनों पर रखे रहने स्तन सुडौल (gambhari fruit uses) बनते हैं एवं पुष्ट होने लगते हैं।
प्रसूति रोगों में गंभारी का उपयोग लाभदायक (Gambhari Uses in Post Pregnancy Problem in Hindi)
- प्रसूति स्त्रियों के लिए यह उपाय बहुत फायदेमंद होता है। प्रसूति रोगों के उपचार के लिए गंभारी की 20 से 30 ग्राम छाल को 240 मिली जल में उबालें। इसका एक चौथाई हिस्सा बचने पर काढ़ा बना लें। सुबह और शाम काढ़ा का 10 से 20 मिली की मात्रा में नियमित सेवन करने से प्रसूति स्त्रियों से जुड़े रोग दूर होते हैं।
- इसके सेवन से गर्भाशय की सूजन भी कम हो जाती है।
- इसके साथ ही बुखार वगैरह भी ठीक हो जाते हैं।
- इससे सेवन से स्तनों में दूध की मात्रा भी बढ़ती है।
- गंभारी के फल और मुलेठी को बराबर मात्रा में लेकर इसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें। इसे मधु के साथ सुबह और शाम सेवन करने से गर्भ में मौजूद बच्चे की रक्षा होती है।
मूत्र रोग (पेशाब सम्बन्धी बीमारियां) में गंभारी से लाभ (Uses of Gambhari in Treatment of Urinal Problems in Hindi)
पेशाब में जलन, पेशाब में दर्द या सूजन आदि की स्थिति में गंभारी के सेवन से राहत मिलती है। इसके लिए गंभारी के पत्तों का रस निकाल कर 10 से 20 मिली रस में गाय का मूत्र मिला लें। इसके साथ ही इसमें मिश्री मिला लें। इसे पीने से शीघ्र आराम मिलता है। इससे पेशाब की जलन, पेशाब में दर्द, सूजन आदि से छुटकारा (gambhari fruit uses) मिलता है।
नाखून टूटने की समस्या में गंभारी से फायदा (Benefits of Gambhari to Treat Nail Decay in Hindi)
अंगुली के नाखून किनारों से टूट रहे हों या कमजोर हो रहे हों तो गंभारी के कोमल पत्तों को पीस लें। इसका लेप नाखूनों पर लगाने से नाखून का टूटना रूक जाता है।
शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिएं करें गंभारी का इस्तेमाल (Gambhari Benefits in Cure Body Weakness in Hindi)
- गंभारी के फल का चूर्ण बनाकर इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें। सुबह और शाम इस मिश्रण को 1-1 चम्मच की मात्रा में लेकर गाय के दूध के साथ खाएं। इससे सभी तरह की कमजोरी दूर होती है।
- शुक्राणु सम्बन्धी बीमारी में भी इसके सेवन से लाभ होता है।
- बुखार के कारण कमजोरी आई हो तो गंभारी की छाल का काढ़ा 20 से 40 मिली की मात्रा में पीने से कमजोरी दूर होती है।
बुखार उतारने के लिए करें गम्भारी का प्रयोग (Uses of Gambhari in Fighting with Fever in Hindi)
गंभारी के 20 से 40 मिली काढ़ा में चीनी या मिश्री मिलाकर इसे ठंडा कर लें। इसका सुबह और शाम सेवन करने से जलन और तेज प्यास वाली गंभीर बुखार में लाभ होता है।
गंभारी के फल का एक चम्मच रस दिन में तीन बार नियमित सेवन करने से भी बुखार ठीक हो जाती है।
कफ विकार में गम्भारी से फायदा (Benefits of Gambhari in Cough Disease in Hindi)
कफ से पैदा हुए रोगों के इलाज के लिए गंभारी और अडूसे के कोमल पत्तों का रस निकाल लें। इसका 5 से 10 मिली मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने कफ विकार और कफ विकार से होने वाले रोग शीघ्र ठीक होते हैं।
चर्म रोग (पित्ती उछलने) में गंभारी के प्रयोग से लाभ (Gambhari Tree Uses to Cure Skin Disease in Hindi)
चर्म रोग जैसे शरीर में पित्ती उछलने पर भी गंभारी का उपयोग लाभ पहुंचाता है। पित्ती उछलने को शीतपित्त भी कहते हैं। इसे शांत करने के लिए गंभारी और गूलर के सूखे या ताजे पके फलों का काढ़ा बनायें। इस काढ़ा को 20 से 40 मिली की मात्रा में सुबह और शाम पीने से शीतपित्त में जल्द लाभ होता है।
गठिया में फायदेमंद गंभारी का इस्तेमाल (Gambhari Benefits in Arthritis Treatment in Hindi)
मुलेठी और गंभारी के फल को मिलाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा का दिन में तीन बार 20-40 मिली मात्रा में सेवन करने से आमवात या गठिया तथा वातरक्त में लाभ होता है।
गंभारी की जड़ को पीसकर लेप करने से भी आमवात या गठिया तथा वातरक्त में लाभ होता है।
सुजाक से राहत दिलाने में फायदेमंद गंभारी का इस्तेमाल (Benefits of Gambhari in Gonorrhoea in Hindi)
गंभारी की पत्तियों का क्वाथ सुजाक के में घाव के प्रक्षालन में फायदेमंद होता है गंभारी क्योंकि में पित्त शामक, कषाय गुण पाए जाते है जो की घाव की शीघ्र भरने में सहायक होते है।
आंत के कीड़े में गंभारी के फायदे (Benefits of Gambhiri in Intestinal Worm in Hindi)
अगर आप आंत के कीड़ों से परेशान है तो आपको गंभारी का उपयोग आपके लिए एक अच्छा उपाय है क्योंकि गंभारी में एंटी-थेलमिंटिक का गुण पाया जाता है।
घाव को ठीक करने में लाभकारी गंभारी (Benefits of Gambhiri to Get Relief from Wounds in Hindi)
गंभरी में कषाय और रोपण यानि हीलिंग गुण पाए जाने कारण यह घाव स्थिति में खून या कोई अन्य स्राव को रोकने में भी मदद करता है साथ ही उसको भरने में मदद करता है।
गंभारी के उपयोगी भाग (Useful Parts of Gambhari Tree in Hindi)
गंभारी के निम्नलिखित भागों का प्रयोग औषधि के लिए किया जा सकता है:-
- जड़,
- पत्ते
- फल
- छाल
उपरोक्त अंगों के औषधि रूप में प्रयोग के विभिन्न तरीके ऊपर बताये गए हैं। उसके अनुसार चिकित्सक के परामर्श से औषधि बनाकर इसका सेवन किया जा सकता है।
गंभारी का इस्तेमाल कैसे करें? (How to use Gambhari?)
- काढ़ा – 20-40 मिली
- रस – 10-20 मिली
गंभारी के नुकसान (Side Effects of Gambhari)
सामान्य तौर पर गम्भारी के प्रयोग से नुकसान की जानकारी नहीं है। बेहतर परिणाम के लिए इसका प्रयोग करने से पहले चिकित्सक की राय ले लेनी चाहिए।
गंभारी कहाँ पायी या उगाई जाती है (Where is Gambhari Found or Grown?)
गंभारी के वृक्ष (gambhari tree) भारत के लगभग सभी प्रान्तों में मिलते हैं। ये विशेष रूप से पर्वतीय प्रदेशों में जैसे- हिमालय क्षेत्र, मध्यप्रदेश, नीलगिरी तथा पूर्वी और पश्चिमी घाटों में पाये जाते हैं।
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