Sanskrit-वेत्र, अभनुष्पा, दीर्घपत्रक, गंधपुष्पा, इक्षुवालिका;Hindi-बेंत;Oriya-वेतस (Vetus);Assamese-बेत (Bet);Kannada-बेतासु (Betasu), हब्बे (Habbe);Gujrati-नेतार (Netar);Tamil-पाइरेम्पु (Perampu), अरिनि (Arini);Telugu-बेथमु (Bethamu), पेपा (Pepa), जात्युरकुली (Jatyurkuli);Nepali-वेत (Veit);Malayalam-कुरॉल (Cural), निर्वन्नी (Nirvanni);Marathi-वैथ (Vaeth)।English-केन (Cane), चेयर-बॉटम केन (Chair bottom cane), स्लेंडर रैटैन (Slender rattan), वॉटर रैटैन (Water rattan);
गुणों से भरपूर है वेत्र (बेंत) : Vetra Benefits and Side Effects in Hindi- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)
बहुत लोगों को वेत्र नाम पता ही नहीं होगा। वेत्र एक प्रकार की लंबी झाड़ी होती है जिसके तने मजबूत और लचीले होते हैं। हिन्दी में वेत्र को बेंत कहते हैं। बेंत की छड़ी अत्यन्त मजबूत होती है। आयुर्वेद के अनुसार, बेंत की छड़ी तथा फर्नीचर बनाई जाती है। इसके अलावा भी बेंत के कई फायदे हैं। क्या आपको पता है कि एसिडिटी, डायबिटीज, पित्त दोष, कफ विकार आदि में बेंत के फायदे मिलते हैं। इतना ही नहीं, पेट में कीड़े होने पर, ल्यूकोरिया, पेशाब संबंधित रोगों में भी बेंत से लाभ मिलता है।
इसके अलावा बेंत अवसाद (डिप्रेशन) को दूर करने में मदद करता है। बेंत के और भी अनेक औषधीय गुण हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे। चलिये जानते हैं कि आप बेंत से और क्या-क्या फायदे ले सकते हैं।
वेत्र क्या है? (What is Vetra in Hindi?)
बेंत की लता कांटेदार और कोमल झाड़ी जैसी होती है। इसका तना अत्यधिक पतला, कोमल, नलिकाकार, लघु चपटे, कांटों से भरा होता है। तने की छाल अत्यन्त मजबूत होती है। इसके पत्ते 45-90 सेमी लम्बे, बांस के जैसे होते हैं। पत्ते तीखे, नोंकदार, समानान्तर शिरा वाले तथा कांटेदार होते हैं। अंकुरयुक्त फूल के भीतर छोटे-छोटे नर एवं मादा फूल होते हैं। इसके फल लगभग गोलाकार, 13 मिमी तक लम्बे, पतले कवच से युक्त, पाण्डुर पीले रंग के होते हैं। इसका पुष्पकाल एवं फलकाल फरवरी से मई तक होता है।
विशेष : यद्यपि रामचरित मानस आदि ग्रन्थों में बेंत्र के संदर्भ में कहा गया है कि फूलहि फलहि न बेंत, जदपि सुधा वर्षहि जलज। मूरख हृदय न चेत, जो गुरु मिले विरंचि सम।।‘ जब हमने शास्त्र के अनुसार बेंत की प्रजातियों की खोज की तो पता चला कि बेंत की चार प्रजातियां होती हैं, जो ये हैंः-
1. Calamusrotang Linn.
2. Homonoia riparia Lour.
3. Salix caprea Linn.
4. Salix tetrasperma Roxb.
मुख्यतया बेंत के रूप में Calamus rotang Linn. का प्रयोग होता है। बेंत की चारों प्रजातियों में फूल होते हैं, लेकिन बेंत्र में जो कण्टक व झाड़ियां होती हैं उनकी तुलना में फूल की संख्या बहुत कम होती है। संभव है कि तुलसीदास जी ने बेंत के पुष्प को पुष्प ना समझा हो।
अन्य भाषाओं में वेत्र के नाम (Vetra Called in Different Languages)
वेत्र का वानस्पतिक नाम Calamus rotangLinn. (कैलेमस् रोटंग) Syn-Calamus monoecus Roxb.; Calamu roxburghii Griff.
है। वेत्र का कुल Arecaceae (ऐरेकेसी) है। वेत्र को अंग्रेजी में Common rattan (कॉमन रैटैन) कहते हैं। भारत के विभिन्न प्रांतों में वेत्र को भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है।
Vetra in-
Sanskrit-वेत्र, अभनुष्पा, दीर्घपत्रक, गंधपुष्पा, इक्षुवालिका;
Hindi-बेंत;
Oriya-वेतस (Vetus);
Assamese-बेत (Bet);
Kannada-बेतासु (Betasu), हब्बे (Habbe);
Gujrati-नेतार (Netar);
Tamil-पाइरेम्पु (Perampu), अरिनि (Arini);
Telugu-बेथमु (Bethamu), पेपा (Pepa), जात्युरकुली (Jatyurkuli);
Nepali-वेत (Veit);
Malayalam-कुरॉल (Cural), निर्वन्नी (Nirvanni);
Marathi-वैथ (Vaeth)।
English-केन (Cane), चेयर-बॉटम केन (Chair bottom cane), स्लेंडर रैटैन (Slender rattan), वॉटर रैटैन (Water rattan);
Arbi-क्युस्साब ड्राकु (Qassab draku);
Persian-बेड (Bed)
वेत्र के फायदे और उपयोग (Vetra Benefits and Uses in Hindi)
जैसा कि हमने पहले ही कहा कि वेत्र या बेंत से चीजें बनाई जाती है लेकिन यह औषधी के रुप में भी प्रयोग में लाया जाता है। यह किन-किन बीमारियों के लिए फायदेमंद हैं इसके लिए आगे पढ़ना पढ़ेगा-
मूत्र संबंधी रोग में वेत्र (बेंत) के फायदे (Vetra Benefits for Dysuria in Hindi)
मूत्र संबंधी बीमारी में बहुत तरह की समस्याएं आती हैं, जैसे- मूत्र करते वक्त दर्द या जलन होना, मूत्र रुक-रुक कर आना, मूत्र कम होना आदि। बेंत की जड़ को पीसकर चावल के धोवन के साथ पिलाने से मूत्रकृच्छ्र में लाभ होता है।
पथरी की समस्या में बेंत (वेत्र) के फायदे (Benefits of Vetra to Treat Bladder Stone in Hindi)
अक्सर खान-पान की गड़बड़ी या किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के कारण मूत्राशय में पथरी की शिकायत होती है लेकिन बेंत का सही तरह से सेवन करने से लाभ होता है। बेंत का क्षार बनाकर 500 मिग्रा क्षार में शहद मिलाकर सेवन करने से मूत्राश्मरी में चूर्ण होकर अश्मरी या पथरी निकल जाती है तथा यह मूत्रल होता है।
बेंत (वेत्र) के औषधीय गुण से डायबिटीज पर नियंत्रण (Vetra Benefits in Controlling Diabetes in Hindi)
अगर किसी भी तरह डायबिटीज को नियंत्रण नहीं पर पा रहे हैं तो बेंत का सेवन लाभ दो सकता है। पत्ते के रस को पीने से जलन कम होता है तथा प्रमेह या डायबिटीज से आराम मिलता है।
ल्यूकोरिया में बेंत (वेत्र) के सेवन से लाभ (Vetra Benefits to Treat Leucorrhea in Hindi)
महिलाओं को अक्सर योनि से सफेद पानी निकलने की समस्या होती है। सफेद पानी का स्राव अत्यधिक होने पर कमजोरी भी हो जाती है। बेंत के कोमल डंठलों तथा जड़ को काटकर सुखाकर काढ़ा बनाकर पीने से प्रमेह तथा प्रदर में लाभ होता है।
योनि (वैजाइना) के ढीलेपन की समस्या में बेंत के फायदे (Benefits of Vetra in Loose Vagina Problem in Hindi)
अगर किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के कारण वैजाइना लूज हो गया है तो बेंत का घरेलू उपाय इस्तेमाल करने से फायदेमंद साबित होता है। बेंत की जड़ को कुट कर 10 ग्राम चूर्ण को 100 मिली जल में मिलाकर मन्द आंच पर पकाकर काढ़ा बनाकर, छानकर योनि को धोने से योनि शैथिल्य (लूज वैजाइना) में लाभ मिलता है।
रक्तपित्त (कान-नाक से खून बहना) में बेंत (वेत्र) के सेवन से लाभ (Benefits of Vetra to Stop Haemoptysis in Hindi)
10-15 मिली बेंत जड़ के काढ़े में शहद मिलाकर पिलाने से रक्तपित्त में लाभ होता है।
अवसाद (डिप्रेशन) में बेंत (वेत्र) के सेवन से लाभ (Vetra Uses to Get Relief from Depression in Hindi)
आजकल के तनाव भरे जिंदगी में डिप्रेशन होना आम बात हो गया है लेकिन वेत्र का घरेलू इलाज बहुत फायदेमंद होता है। बेंत के फूलों का काढ़ा बनाकर पीने से अवसाद में लाभ होता है।
बेंत (वेत्र) के औषधीय गुण से बुखार का इलाज (Uses of Vetra in Fighting with Fever in Hindi)
वेत्र का औषधिपरक गुण बुखार के लक्षणों से आराम दिलाने में लाभकारी होता है। बेंत के जड़ का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पिलाने से जीर्ण ज्वर का कष्ट कम होता है।
आमदोष में फायदेमंद वेत्र (बेंत) का सेवन (Uses of Vetra in Aamdosh in Hindi)
बेंत के पञ्चाङ्ग का काढ़ा बनाकर पीने से आमदोष (पाचन की कमजोरी के कारण जब खाना हजम नहीं होता तो उससे बने विषैले तत्व को आमदोष कहते हैं) से राहत मिलती है।
सूजन की समस्या में बेंत (वेत्र) का औषधीय गुण फायदेमंद (Vetra Uses to Reduce Inflammation in Hindi)
अगर किसी चोट के कारण या बीमारी के वजह से किसी अंग में हुए सूजन से परेशान है तो बेंत के द्वारा किया गया घरेलू इलाज बहुत ही फायदेमंद होता है। बेंत की कोमल शाखाओं का साग बनाकर बिना नमक मिलाए सेवन करने से सूजन कम होता है।
कुत्ते के काटने पर बेंत (वेत्र) का औषधीय गुण लाभदायक (Vetra is Beneficial for Dog Bite in Hindi)
बेंत के जड़ के साथ समान भाग में कूठ की जड़ मिलाकर कुट कर काढ़ा बनाकर पिलाने से कुत्ते के विष का असर कम होता है।
वेत्र के उपयोगी भाग (Useful Parts of Vetra in Hindi)
आयुर्वेद में वेत्र के पञ्चाङ्ग का औषधि के रुप में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
वेत्र का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Vetra in Hindi?)
बीमारी के लिए वेत्र के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए वेत्र का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें। चिकित्सक के सलाह के अनुसार 25-50 मिली काढ़े का सेवन करना चाहिए।
बेंत (वेत्र) से नुकसान (Vetra Side Effects in Hindi)
बेंत पित्तशामक व अल्प वातकारक होती है, इसलिए वात वाले रोगियों को बेंत की छड़ी का प्रयोग नहीं करना चाहिे। ऐसे लोग तुम्बरू या अन्य वातशामक काठ की छड़ी का प्रयोग कर सकते हैं।
वेत्र कहां पाया और उगाया जाता है? (Where is Vetra Found and Grown in Hindi)
यह मध्य एवं दक्षिण भारत के शुष्क क्षेत्रों में लगभग 450 मी तक की ऊँचाई पर तथा श्रीलंका में भी प्राप्त होता है।
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