Sanskrit-काकोदुम्बर, मलयू, जघनेफला, मूलकर्करी, श्वित्रभैषज्य, काष्ठोदुम्बर;Hindi-कठूमर, कठ गुलरिया, कठगूलर, कोनीयादूम्बर, दादूरी;Assamese-खोस्कादूमर (Khoskadumar);Urdu-काठ गूलर (Kath gular);Odia-दीमीरी (Dimiri), अनीदाम्बुर (Anidambur);Konkani-खरवोटी (Kharvoti);Kannada-काडाट्टी (Kadatti), अडावीअट्टी (Adaviyatti);Gujrati-जंगली अंजीर (Jangali anjir), धेडौमरो (Dhedaumaro);Tamil-पेयट्टी (Peyatti), सोनाट्टी (Sonatti);Telegu-कुक्काबोड्डा (Kukkabodda),काकीमेदी (Kakimedi);
AUTHENTIC, READABLE, TRUSTED, HOLISTIC INFORMATION IN AYURVEDA AND YOGA
Kokodumbar: बेहद गुणकारी है काकोदुम्बर- (knowledge)
काकोदुम्बर गुलर का फूल या कठूमर का एक किस्म होता है। लेकिन इस अनजान गुलर के किस्म के अनगिनत गुणों के कारण आयुर्वेद में काकोदुम्बर को औषधी के रूप में उपयोग किया जाता है। चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं कि काकोदुम्बर कैसे और किन-किन बीमारियों के लिए प्रयोग किया जाता है।
काकोदुम्बर (gular tree) क्या होता है? (What is Kokodumbar in Hindi?)
काकोदुम्बर के वृक्ष के पुराने हो जाने पर इसकी छाल गांठदार हो जाती है। गूलर या अंजीर वृक्ष के समान ही इसके सब अंगों को तोड़ने पर दूध निकलता है। इसका वृक्ष बहुत जल्दी बढ़कर 2-3 वर्षों में फल देने लगते हैं।
यह शीघ्र बढ़ने वाला, सदाहरित लगभग 5-8 मी ऊँचा, छोटा वृक्ष होता है। इसके तने की टहनियां-नये अवस्था में सफेद से भूरे रंग के होते हैं। इसके पत्ते गुलर के पत्ते जैसे ही, परन्तु उससे कुछ बड़े, 10-30 सेमी लम्बे, 5-15 सेमी चौड़े, स्पर्श में खुरदरे तथा शीर्ष पर नुकीले होते हैं। इसके फूल गोलाकार, अण्डाकार, गूलर या अंजीर के फल जैसे ही, किन्तु उनसे कुछ छोटे या रोमश तथा पके अवस्था में हरे-पीले रंग के होते है।
उपरोक्त वर्णित काकोदुम्बर के अतिरिक्त निम्नलिखित प्रजातियां और पाई जाती हैं जिनका प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।
- Ficus semicordata Buch.-Ham. ex Sm. (खन्या)
- Ficus auriculata Lour (निमार, पत्रोदुम्बर)
- Ficus palmata Forssk. (कलोदुम्बर)
कठगूलर प्रकृति से कड़वा, ठंडे तासीर का, रूखा, कफ और पित्त को दूर करने वाला, स्तन का आकार बढ़ाने में सहायक, स्तम्भक(Styptic), बृंहण (Stoutning therapy) होता है। यह खूनी दस्त, मुखरोग, नाक जनित रोग, क्षत (कटने-छिलने), व्रण (अल्सर), श्वित्र (Leucoderma), पाण्डु या एनीमिया , अर्श या पाइल्स, कामला या पीलिया, दद्रु या खुजली, कुष्ठ तथा सूजन में लाभकारी होता है।
गुलर के फल प्रकृति से थोड़े कड़वे, मधुर, शीतल, भारी, शुक्राणु बढ़ाने वाले, स्निग्ध, पौष्टिक, बृंहण, दाह या जलन, क्षत, विष तथा रक्तविकार-नाशक होता है। काकोदुम्बर के फल की त्वचा अतिसार या दस्त नाशक होती है।
काकोदुम्बर का तना विरेचक यानि शरीर से अवांछित पदार्थ निकालने , पित्त को बढ़ाने वाला, बुखार में लाभकारी, विषम ज्वर तथा पित्त-विकार में हितकर होती है। इसकी छाल बुखार, विबन्ध या कब्ज, सांस संबंधी समस्या, मधुमेह, बवासीर, कुष्ठ, श्वेतप्रदर या सफेद पानी तथा अतिसाररोधी; बलकारक होती है।
इसका आक्षीर या दूध प्रवाहिका, अतिसार, दद्रु, अर्श, सूजन तथा सिरदर्द से राहत दिलाने में मदद करता है। इसके पत्ता खांसी तथा सांस संबंधी समस्या में लाभकारी होती हैं।
अन्य भाषाओं में गुलर या काकोदुम्बर के नाम (Name of Kokodumbar in Different Languages in Hindi)
काकोदुम्बर का वानास्पतिक नाम Ficus hispidaLinn. f. (फाइकस हिस्पिडा) Syn-Ficus oppositifolia Willd है। काकोदुम्बर Moraceae (मोरेसी) कुल से है। काकोदुम्बर को अंग्रेजी में Wild fig (वाइल्ड पैंग) कहते हैं लेकिन भारत के विभिन्न प्रांतों में इसको कई नामों से पुकारा जाता है। जैसे-
Kokodumbar in-
Sanskrit-काकोदुम्बर, मलयू, जघनेफला, मूलकर्करी, श्वित्रभैषज्य, काष्ठोदुम्बर;
Hindi-कठूमर, कठ गुलरिया, कठगूलर, कोनीयादूम्बर, दादूरी;
Assamese-खोस्कादूमर (Khoskadumar);
Urdu-काठ गूलर (Kath gular);
Odia-दीमीरी (Dimiri), अनीदाम्बुर (Anidambur);
Konkani-खरवोटी (Kharvoti);
Kannada-काडाट्टी (Kadatti), अडावीअट्टी (Adaviyatti);
Gujrati-जंगली अंजीर (Jangali anjir), धेडौमरो (Dhedaumaro);
Tamil-पेयट्टी (Peyatti), सोनाट्टी (Sonatti);
Telegu-कुक्काबोड्डा (Kukkabodda),काकीमेदी (Kakimedi);
Bengali-दुमूर(Dumoor), काकदुमर (Kakdumar);
Nepali-खसेड़ो (Kharsedo), खरवा (Kharwa), कोक्सा (Koksa);
Panjabi-रम्बल (Rumbal), देगर (Degar), कटुम्बरी (Katumbri);
Marathi-भुई उम्बर (Bhui umber), खरवट (Kharawat);
Malayalam-पेयट्टी (Peyatti), पराकम (Parakam), एरूमनक्कु (Erumanakku)।
English-क्रो पैंग (Crow fig), रपैं लीव्ड स्टेम पैंग (Rough leaved stem fig), हेयरी पैंग (Hairy fig);
Arbi-तीनेबर्री (Tinebarri);
Persian-अंजीरदश्ते (Anjirdashete)
काकोदुम्बर के फायदे (Kokodumbar Uses and Benefits in Hindi)
काकोदुम्बर को पोषक तत्वों और गुणों के कारण आयुर्वेद में औषधि के रुप में कई बीमारियों के लिए इसके फल, पत्ता, फूल, आक्षीर या दूध और तने के छाल का प्रयोग किया जाता है। चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-
गुलर या काकोदुम्बर गंजापन दूर करने में फायदेमंद (Gular Benefits in Baldness in Hindi)
यदि किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के कारण बाल झड़कर गंजेपन की नौबत आ गई है तो काकोदुम्बर के कच्चे फलों को सिरके के साथ पीसकर उसमें नमक मिलाकर सिर में लगाने से खालित्य (सिर का गंजापन) में लाभ होता है।
काकोदुम्बर ट्यूमर के इलाज में लाभकारी (Kokodumbar Heals Tumour in Hindi)
काकोदुम्बर का औषधीय गुण ट्यूमर के उपचार में लाभकारी होता है। काकोदुम्बर पात्राधानी (Receptacle) से बने काढ़े से गरारा करने से गले में होने वाली गाँठ के इलाज में मदद मिलती है।
गुलर घेंघा के उपचार में फायदेमंद (Gular Plants to Treat Goitre in Hindi)
घेंघा में गला फूल जाता है और यह मूल रुप से आयोडिन की कमी के कारण होता है। पके फल के मज्जा को पीसकर गले में लगाने से गलगण्ड (घेंघा) में लाभ होता है।
गुलर खाँसी दूर करने में लाभकारी ( Benefit of Gular to Get Relief from Cough in Hindi)
अगर मौसम के बदलाव के कारण खांसी से परेशान है और कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है तो गुलर से इसका इलाज किया जा सकता है।काकोदुम्बर के 1-2 ग्राम कोमल पत्तों को पीसकर, 100-200 मिली गाय के दूध में पकाकर उसमें 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण मिलाकर पीने से खाँसी, साँस फूलना आदि रोगों में लाभ होता है।
काकोदुम्बर दस्त रोकने में फायदेमंद (Kokodumbar for Diarrhoea in Hindi)
अगर ज्यादा मसालेदार खाना, पैकेज़्ड फूड या बाहर का खाना खा लेने के कारण दस्त है कि रूकने का नाम ही नहीं ले रहा तो गुलर का घरेलू उपाय बहुत काम आयेगा। 1-2 बूंद काकोदुम्बर आक्षीर (दूध) को बतासे में डालकर खिलाने से अतिसार या दस्त तथा प्रवाहिका या पेचिश में लाभ होता है।
गुलर मस्सा के इलाज में लाभकारी (Gular Benefits in Warts in Hindi)
गुलर का औषधीय गुण मस्सो को हटाने में लाभकारी होता है। काकोदुम्बर के पत्तों को पीसकर अर्श यानि बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से मिटते हैं।
खूनी बवासीर से राहत दिलाने में फायदेमंद गुलर (Kokodumbar Beneficial in Hemorrhoid in Hindi)
बवासीर जब गंभीर अवस्था में चला जाता है तब उसके मस्सों से खून निकलने लगता है। गुलर का औषधीय गुण इससे राहत दिलाने में मदद करता है। 1-3 ग्राम काकोदुम्बर के जड़ के चूर्ण को शहद तथा घी के साथ मिलाकर चटाने से रक्तार्श (खूनी बवासीर) में लाभ होता है।
लीवर के इलाज में लाभकारी काकोदुम्बर (Gular for Liver disease in Hindi)
लीवर के बीमारियों के संभावना को कम करने के लिए लीवर का स्वस्थ होना आवश्यक होता है। 5 मिली काकोदुम्बर के फल के रस का सेवन करने से यकृत् या लीवर संबंधित बीमारियों में लाभ होता है।
कामला या पीलिया के उपचार में फायदेमंद गुलर (Kokodumbar Beneficial in Jaundice in Hindi)
गुलर का औषधीय गुण पीलिया के इलाज में लाभकारी होता है।
पीलिया के उपचार के लिये गुलर की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पिलाने से पाण्डु या एनीलिया, कामला, सूजाक या गोनोरिया तथा प्रमेह या डायबिटीज में लाभ होता है।
प्रदर या सफेद पानी के इलाज में लाभकारी काकोदुम्बर (Gular plant help to cure Leucorrhoea in hindi)
महिलाओं को प्रदर की समस्या सबसे ज्यादा होती है। गुलर का घरेलू इलाज योनी से सफेद पानी निकलने की बीमारी से राहत दिलाने में मदद करता है।
-2-4 ग्राम काकोदुम्बर फल के चूर्ण में शहद एवं शर्करा मिलाकर खाने से प्रदर या लिकोरिया के उपचार में फायदा मिलता है।
-2-4 ग्राम काकोदुम्बर की जड़ के छाल का चूर्ण बनाकर शहद के साथ दिन में 3-4 बार देने से ज्वर या बुखार तथा प्रदर में लाभ होता है।
श्वित्र या विटिलिगो में उपचार में फायदेमंद गुलर (Kokodumbar treats Vitiligo in hindi)
चिकित्सा में विरेचन (शरीर से मल मूत्र निकालने के लिए) के लिए गुड़ के साथ काकोदुम्बर के रस का प्रयोग उपयुक्त है। श्वित्र रोग के कारण उत्पन्न स्फोटों को फोड़कर, उनसे पूय निकालकर, 15 दिन तक रोज सुबह काकोदुम्बर की छाल, विजयसार का सार भाग, प्रियंगु तथा शतपुष्पा का काढ़ा बनाकर, आवश्यकतानुसार पीने से श्वित्र रोग में जल्दी लाभ होता है।
ग्रंथी (ग्लैंड में सूजन) के इलाज में लाभकारी काकोदुम्बर (Gular plant help to cure Grandular swelling in hindi)
अक्सर किसी बीमारी के कारण या उसके साइड इफेक्ट के वजह से ग्रंथियों में सूजन आ जाती है। काकोदुम्बर के तने का छाल या फली को पीसकर ग्रंथि (गांठ) पर लगाने से गांठ बैठ जाती है।
रोमकूप के सूजन के इलाज में लाभकारी गुलर (Kokodumbar Beneficial in Folliculitis in Hindi)
गुलर का औषधीय गुण रोमकूप के सूजन को करने में लाभकारी होता है। इसके पत्ते को पीसकर लगाने से रोमकूप में सूजन (बालतोड़) में लाभ होता है।
रिंगवार्म के इलाज में फायदेमंद गुलर (Gular plant to Treat Ringworm in Hindi)
कभी-कभी किसी बीमारी के कारण या पानी में देर तक काम करने के कारण रिंगवर्म की समस्या होती है। गुलर का घरेलू उपाय इसके इलाज में काम आता है।
-काकोदुम्बर के तने से प्राप्त आक्षीर (सफेद दूध) को दद्रु या रिंगवार्म पर लगाने से लाभ होता है।
-काकोदुम्बर के जड़ का काढ़ा बनाकर पिलाने से कण्डु या खुजली, दद्रु, रक्तविकार तथा व्रण या घाव आदि त्वचा विकारों में फायदेमंद होता है।
रक्तपात या ब्लीडिंग रोके काकोदुम्बर (Kokodumbar for Hemorrhage in Hindi)
गुलर का औषधीय गुण ब्लीडिंग रोकने में बहुत काम आता है। गुलर का इस तरह से प्रयोग करने में जल्दी आराम मिलता है-
-2-4 ग्राम काकोदुम्बर की छाल के चूर्ण को चावल के धोवन के साथ पीने से ऊर्ध्वगत रक्तपित्त में लाभ होता है।
-5-10 मिली काकोदुम्बर जड़ के रस को दिन में दो बार पीने से बुखार कम होने में मदद मिलती है। इसमें शर्करा मिलाकर पीने से प्रदर का तथा शहद मिलाकर पीने से रक्तपित्त व रक्तस्राव कम होता है।
और पढ़ें – ब्लीडिंग रोकने में दूर्वा घास के फायदे
लसिकाग्रंथिशोध या लिम्फ नॉड में सूजन में फायदेमंद गुलर (Gular Beneficial in Lymph nodes Inflammation in Hindi)
लिम्फ नॉड के सूजन को कम करने में गुलर का इस तरह से उपयोग करने पर लाभ मिलता है। 2-5 ग्राम सूखे फल के चूर्ण को जल में उबालकर पुल्टिस के रुप में प्रयोग करने से लसिकाग्रंथि के सूजन को कम करने में मदद मिलती है।
काकोदुम्बर का उपयोगी भाग (Useful Parts of Kokodumbar in Hindi)
आयुर्वेद में काकोदुम्बर के तने की छाल, फल, पत्ता, जड़ तथा आक्षीर या दूध का प्रयोग औषधि के रुप में ज्यादा किया जाता है।
काकोदुम्बर का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? (How to Use Kokodumbar in Hindi?)
बीमारी के लिए काकोदुम्बर के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए काकोदुम्बर का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
चिकित्सक के परामर्श के अनुसार काकोदुम्बर के-
-20-40 मिली काढ़ा,
-1-3 ग्राम चूर्ण का सेवन कर सकते हैं।
काकोदुम्बर कहां पाया और उगाया जाता है ?(Where is Kokodumbar Found or Grown in Hindi?)
समस्त भारत में काकोदुम्बर नदियों के किनारों, पर्णपाती सदाहरित वनों तथा हिमालयी भागों 1250 मी की ऊँचाई तक पाया जाता है।
टिप्पणियाँ