बकायन, बकाइन, महानीमSanskrit- महानिम्ब, केशमुष्ठी, रम्यक, विषमुष्टिकाEnglish- Persian lilac (पर्सियन लिलेक), बीडट्री (Bead tree), प्राइड ऑफ चाइना (Pride of china), प्राइड ऑफ इण्डिया (Pride of India)Urdu- बकायना (Bakayana)Uttrakhand- बेतैन (Betain), डेन्कना (Denkna)Assamese- थामागा (Thamaga)Kannada- तुरकाबेवु (Turakabevu), हुक्केबेवु (Huccebevu)Gujarati- बकानलिम्बडो (Bakanlimbado)Telugu- कोन्डा वेपा (Konda vepa), तुरकवेपा (Turak vepa)


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Bakayan (Mahanimba): बहुत गुणकारी है बकायन (महानिम्ब)-( knowledge)

Tikeshwar Rajnire
July17,2020

कई लोगों को बकायन (Bakayan or mahanimba) और नीम का पेड़ एक जैसा ही लगता है, क्योंकि बकायन का पेड़, नीम के पेड़ की तरह होता है। बकायन या महानिम्ब के पत्तों या फलों का स्वाद भी नीम की तरह ही होता है, लेकिन असल में दोनों अलग-अलग हैं। बकायन भी एक जड़ी-बूटी वाला पेड़ है, और इसके अनेक कई सारे औषधीय गुण हैं। आप सिर दर्द, मुंह के छाले की बीमारी, गंडमाला, सांसों से जुड़ी बीमारियों, पेट दर्द, पेट में कीड़े होने पर बकायन के इस्तेमाल से फायदे (Bakayan or mahanimba benefits and uses) फायदा ले सकते हैं। इतना ही नहीं, बवासीर, गालब्लैडर स्टोन, डायबिटीज, गर्भाश्य विकार से जुड़ी बीमारियों में भी बकायन के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।

आयुर्वेद के अनुसार, ल्यूकोरिया, सायटिका, गठिया, खुजली में भी बकायन के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। इसके अलावा आप कुष्ठ रोग, टाइफाइड बुखार, घाव,  त्वचा रोग, मिर्गी और सूजन में भी बकायन से लाभ ले सकते हैं। बकायन का पेड़ हर जगह मिल जाता है, इसलिए आइए जानते हैं कि बकायन के बकायन से क्या-क्या फायदा और नुकसान (Bakayan or mahanimba benefits and side effects) हो सकता है ताकि आप इससे पूरा-पूरा लाभ ले सकें।

 


बकायन (महानिम्ब) क्या है? (What is Bakayan in Hindi?)

बकायन (महानिम्ब) का वृक्ष नीम के वृक्ष की तरह 9-12 मीटर ऊंचे होते हैं। इस वृक्ष के किसी भी हिस्से का प्रयोग उचित मात्रा में और सावधानीपूर्वक करना चाहिए, क्योंकि यह कुछ विषैला होता है। फलों की तुलना में छाल और फूल कम विषैले होते हैं। 

बकायन के बीज सबसे अधिक विषैले होते हैं, लेकिन ताजे पत्ते प्रायः हानिकारक नहीं होते हैं। इसके फलों और बीजों की माला बनाकर दरवाजे और खिड़कियों पर टांगने से बीमारियों का प्रभाव नहीं होता है। इसके फलों की माला पहनने से संक्रामक रोगों से बचाव होता है। 

फागुन और चैत्र महीने में इस वृक्ष से एक दुधिया-रस निकलता है। इस समय कोमल पत्तों के अलावा और किसी अंग के रस या काढ़ा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यहां बकायन के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Bakayan or mahanimba benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप बकायन के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।

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अन्य भाषाओं में बकायन (महानिम्ब) के नाम (Name of Bakayan in Different Languages)

बकायन का वानस्पतिक नाम Melia azedarachLinn. (मीलिया एजाडराक) है, और यह Meliaceae (मीलिएसी) कुल का है। बकायन के अन्य ये भी नाम हैंः-

Bakayan in –

  • Hindi- बकायन, बकाइन, महानीम
  • Sanskrit- महानिम्ब, केशमुष्ठी,  रम्यक, विषमुष्टिका
  • English- Persian lilac (पर्सियन लिलेक), बीडट्री (Bead tree), प्राइड ऑफ चाइना (Pride of china), प्राइड ऑफ इण्डिया (Pride of India)
  • Urdu- बकायना (Bakayana)
  • Uttrakhand- बेतैन (Betain), डेन्कना (Denkna)
  • Assamese- थामागा (Thamaga)
  • Kannada- तुरकाबेवु (Turakabevu), हुक्केबेवु (Huccebevu)
  • Gujarati- बकानलिम्बडो (Bakanlimbado)
  • Telugu- कोन्डा वेपा (Konda vepa), तुरकवेपा (Turak vepa)
  • Tamil- मलाइवेम्पु (Malaivempu), मलाइवेप्पम (Malaiveppam)
  • Bengali- घोड़ानिम (Ghoranim), महानिम (Mahanim)
  • Nepali- बकैनु (Bakenu), बकाइनो (Bakaino)
  • Punjabi- द्रेक (Drek), चेन (Chen)
  • Marathi- विलायती निम्ब (Vilayati nimb), बकाणानिम्ब (Bakananimb) 
  • Malayalam- मालावेप्पु (Malaveppu), केरिन वेम्बु (Kerin vembu)
  • Arabic- बन (Ban), हाबुलबन (Habulban)
  • Persian- अजाडेड्रचता (Azadedarachta), बकेन (Bakaen)

 

बकायन (महानिम्ब) के औषधीय गुण (Medicinal Properties of Bakayan in Hindi)

बकायन के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-

इसकी जड़ तीक्ष्ण, तिक्त, स्तम्भक, तापजनक, वेदनाहर, विशोधक, क्षतिविरोहक, पूयरोधी होती है। इसके पत्ते तिक्त, स्तम्भक होते हैं। इसकी जड़ की छाल प्रदाहनाशक और विषरोधी होती है। इसके बीज तिक्त, कफनिसारक, कृमिघ्न एवं वाजीकारक होते हैं। इसका बीज का तेल विरेचक, कृमिघ्न, विशोधक, शीघ्रपाकी एवं बलकारक होता है।

 

बकायन (महानिम्ब) के फायदे और उपयोग (Bakayan Benefits and Uses in Hindi)

बकायन के फायदे, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

 

मोतियाबिंद में बकायन (महानिम्ब) के फायदे (Benefits of Bakayan for Eye Disease in Hindi)

  • बकायन के एक किग्रा हरे ताजे पत्तों को पानी से धोकर अच्छी प्रकार से कूट-पीसकर रस निकाल लें। रस को पत्थर के खरल में घोटकर सुखा लें। इसे दोबारा 1 से 2 बार खरल करें। खरल करते समय 3 ग्राम तक भीमसेनी कपूर मिला दें। इसको सुबह और शाम आंखों में काजल की तरह लगाने से मोतियाबिन्दु और आंखों की अन्य बीमारियों जैसे आंखों से पानी बहने, लालिमा, आंखों में खुजली होने और अंधेपन की बीमारी में लाभ होता है।
  • महानिम्ब के फलों की छोटे टुकड़े को आंखों पर बाँधने से पित्तज दोष के कारण होने वाली बीमारी में लाभ होता है।बकायन के फलों को पीसकर छोटी टिकिया बना लें। इसे आंखों पर बाँधते रहने से आंखों के फूलने की समस्या ठीक होती है।

 

Benefits of Bakayan for Eye Disease


 

बकायन (महानिम्ब) के औषधीय गुण से सिर दर्द का इलाज (Benefits of Bakayan in Relief from Headache in Hindi)

  • प्रसूति काल में गर्भाशय में दर्द और मस्तक के दर्द हो तो बकायन के पत्तों और फूलों को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस लें। इसे सिर और पेड़ू पर बाँधने से लाभ होता है।
  • बकायन के फूलों और पत्तों को पीसकर सिर पर लगाने से सिर की जुएं मर जाती हैं। बकायन के फूलों के 50 मिली रस को सिर पर लगाने से त्वचा, सिर और मुंह पर फोड़े होने की समस्या में फायदा होता है।


 

गंडमाला रोग में बकायन के सेवन से फायदा (Bakayan Benefits for Scrofula Treatment in Hindi)

5 ग्राम महाानी की छाल को छाया में सूखा लें। इसमें 5 ग्राम पत्ते को कूटकर 500 मिली पानी में पकाएं। जब काढ़ा एक चौथाई बच जाए तो इससे गले पर लेप करें। इससे गंडमाला और कुष्ठ रोग में लाभ होता है।


 

मुंह के छाले में बकायन (महानिम्ब) के सेवन से लाभ (Bakayan Benefits for Mouth Ulcer in Hindi)

  • बकायन की छाल और सफेद कत्था को 10-10 ग्राम की मात्रा में लें। इनका चूर्ण बनाकर लगाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
  • 20 ग्राम महानीम की छाल को जला लें। इसे 10 ग्राम सफेद कत्थे के साथ पीसकर मुंह के अंदर लगाने से लाभ होता है।

 

Bakayan Benefits for Mouth Ulcer


बकायन (महानिम्ब) के औषधीय गुण से सांसों से जुड़ी बीमारियों का इलाज (Benefits of Bakayan to Treat Respiratory Disease in Hindi)

महानीम की जड़ और पत्तों का काढ़ा बना लें। काढ़ा को 15-30 मिली मात्रा में पिलाने से खांसी और सांस की नली की सूजन ठीक होती है।


 

पेट दर्द में बकायन (महानिम्ब) के सेवन से लाभ (Bakayan Benefits in Relief from Abdominal Pain in Hindi)

पेट दर्द होने पर महानीम के औषधीय गुण से फायदा होता है। आप 3-5 ग्राम पत्तों का काढ़ा बना लें। इसमें 2 ग्राम शुंठी का चूर्ण मिलाकर पिलाने से पेट दर्द ठीक होता है।


पेट में कीड़े होने पर में बकायन (महानिम्ब) के सेवन से फायदा (Bakayan Benefits to Treat Abdominal Bugs in Hindi)

  • महानीम के 50 ग्राम ताजी छाल को कूटकर, 300 मिली जल में मिला लें। इसका काढ़ा बनाएं। जब पानी एक चौथाई बच जाए तो इसे बच्चों को एक बड़ा चम्मच सुबह और शाम पिलाएं। इससे आंतों के कीड़े खत्म होते हैं।
  • 20 ग्राम बकायन की छाल को 2 लीटर पानी में उबालें। 750 मिली पानी शेष रहने पर थोड़ा गुड़ मिला लें। इसे तीन दिन तक 20-50 मिली की मात्रा में पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। 
  • 20 मिली बकायन के पत्ते के काढ़ा को सुबह-शाम पिलाएं। इससे भी पेट के कीड़े मर जाते हैं।

 

Bakayan Benefits to Treat Abdominal Bugs


 

गालब्लैडर स्टोन में बकायन (महानिम्ब) के सेवन से लाभ (Bakayan Benefits to Treat Gallbladder Stone in Hindi)

महानीम के 5 मिली पत्ते के रस में 500 मिग्रा यवक्षार मिला लें। इसे पीने से गालब्लैडर स्टोन की बीमारी में फायदा होता है। गालब्लैडर की पथरी टूट-टूट कर निकल जाती है।


 

बकायन (महानिम्ब) के औषधीय गुण से डायबिटीज पर नियंत्रण का इलाज (Benefits of Bakayan in Controlling Diabetes in Hindi)

महानीम के एक या दो बीजों की गिरी को चावल के पानी के साथ पीस लें। इसमें 10 ग्राम घी मिलाकर सेवन करं। इससे डायबिटीज पर नियंत्रण पाने में सफलता मिलती है।


बवासीर में बकायन (महानिम्ब) के सेवन से फायदा (Bakayan Benefits for Piles Treatment in Hindi)

  • महानीम के औषधीय गुण से बवासीर का इलाज किया जा सकता है। आप बकायन के सूखे बीजों को कूट लें। इसे लगभग 2 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम पानी के साथ सेवन करें। इससे खूनी और बादी तरह के बवासीर में बहुत लाभ होता है।
  • महानीम के बीजों की गिरी और सौंफ को समान मात्रा में पीस लें। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें। 2 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।
  • बकायन के जमीन पर गिरे हुए पके फलों के अन्दर के 8-10 बीजों को जल के साथ पीस लें। इसकी 50 मिग्रा की गोलियां बनाकर छाया में सूखाकर रख लें। सुबह और शाम एक-एक गोली बासी जल के साथ सेवन करें। इसके साथ ही 1-2 गोली गुड़ के शरबत में घिसकर मस्सों पर लेप करें। इससे बवासीर का उपचार होता है।
  • बकायन के बीजों की गिरी में समान-भाग एलुआ व हरड़ मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को कुकरौंधा के रस के साथ घोटकर 250-250 मिग्रा की गोलियां बना लें।इसे सुबह और शाम 2-2 गोली जल के साथ लेने से खूनी बवासीर में लाभ होता है। इससे रक्तस्राव बंद हो जाता है, और कब्ज दूर होता है।

 

Bakayan Benefits for Piles Treatment


 

गर्भाशय के विकार में बकायन (महानिम्ब) के सेवन से लाभ (Bakayan Benefits for Uterus Related Disorder in Hindi) 

  • 5 मिली महानिम्ब के पत्ते के रस को पिलाने से गर्भाशय और मासिक धर्म संबंधी विकारों में लाभ होता है।
  • बकायन के 10 मिली पत्ते के रस में 3 मिली अकरकरा का रस मिला लें। इसे सुबह-शाम खाली पेट पिलाने से गर्भाशय साफ होता है।
  • महाानीम के 10 मिली पत्ते के रस में 3 मिली अकरकरा चूर्ण को मिलाकर सुबह-शाम खाली पेट पिलाने से गर्भाशय संबंधी विकार ठीक होता है।
  • 6 मिली महानीम के फूलों के रस में 1 चम्मच मधु मिला लें। इसे सुबह के समय चाटने से मासिक धर्म विकार ठीक होता है।
  • 10-20 मिली बकायन की छाल का काढ़ा पीने से मासिक धर्म खुलकर होने लग जाता है।


 

ल्यूकोरिया में बकायन (महानिम्ब) का औषधीय गुण फायेदमंद (Bakayan Benefits for Leucorrhea Treatment in Hindi)

बकायन के बीज और सफेद चन्दन को बराबर भाग में लेकर चूर्ण बना लें। इसमें बराबर मात्रा में बूरा मिला लें। इसे 6 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार सेवन करने से ल्यूकोरिया में लाभ होता है।


 

गठिया में बकायन (महानिम्ब) का औषधीय गुण फायेदमंद (Bakayan Benefits to Treat Arthritis in Hindi)

गठिया में महानीम के इस्तेमाल से लाभ मिलता है। आप इसके लिए महानीम के बीज लें। इसे सरसों के साथ पीस लें। इसे गठिया वाले अंग पर लेप करें। इससे गठिया में तुरन्त लाभ होता है।

 

Bakayan Benefits to Treat Arthritis


 

सायटिका में बकायन (महानिम्ब) का औषधीय गुण फायेदमंद (Bakayan Benefits for Cytica Treatment in Hindi)

10 ग्राम बकायन की जड़ की छाल लें। इसे सुबह और शाम जल में पीस-छानकर पिएं। इससे सायटिका की गंभीर बीमारी में भी लाभ होता है।


 

खुजली में बकायन (महानिम्ब) के फायदे (Bakayan Uses to Treat Itching in Hindi)

बकायन के 10-20 फूलों को पीसकर लेप लगाने से त्वचा के फोड़े, पुंसी और खुजली आदि रोगों में लाभ होता है।


 

कुष्ठ रोग में बकायन (महानिम्ब) का औषधीय गुण फायेदमंद (Bakayan Benefits for Leprosy Treatment in Hindi)

  • महानीम के 3 ग्राम बीज को रात भर के लिए जल में भिगो दें। इसे सुबह पीस कर सेवन करें। इसके साथ ही भोजन में बेसन की रोटी और गाय का घी लें। इससे कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
  • बकायन के पके हुए 3 ग्राम पीले बीजों को 50 मिली पानी में रात को भिगोकर रख दें। इसे सुबह के समय महीन चूर्ण बनाकर सेवन करें। 20 दिनों तक लगातार सेवन करने से कुष्ठ रोग में बहुत लाभ होता है। इस दौरान बेसन की रोटी और गाय के घी का सेवन करें।
  • बकायन के बीज का पेस्ट बना लें। इससे लेप करने पर कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
  • महानीम के बीज के तेल का लेप करने से भी कुष्ठ रोग का इलाज होता है।

 

Bakayan Benefits for Leprosy Treatment


 

घाव के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है बकायन (Uses of Ayurvedic Medicine Bakayan for Healing Wound in Hindi)

  • घाव के इलाज में महानीम के औषधीय गुण से फायदा होता है। आप घाव के उपचार के लिए महानीम के पत्ते लें। इसका रस निकालकर घाव को धोएँ। इससे लाभ होता है।
  • त्वचा पर फोड़ा, चोट, और घाव हो तो बकायन के 8-10 पत्तों का पेस्ट बना लें। इससे लेप करना लाभकारी होता है।
  • बकायन के पत्तों का काढ़ा बना लें। इससे घाव को धोने से घाव ठीक होता है।


 

सूजन के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है बकायन (Uses of Ayurvedic Medicine Bakayan to Reduce Swelling in Hindi)

शरीर के किसी भी अंग में सूजन हो तो महानीम के फायदे ले सकते हैं। इसके लिए महानीम के 10-20 पत्तों को पीस लें। इसे सूजन वाले अंग पर लगाकर पट्टी बांध दें। इससे सूजन कम होता है।


 

त्वचा रोग होने पर बकायन (महानिम्ब) के फायदे (Uses of Ayurvedic Medicine Bakayan for Skin Disease in Hindi)

  • 50 मिली सिरका में महानीम के 8-10 सूखे फल चूर्ण को मिलाकर पेस्ट बना लें। इससे त्वचा पर लेप करने से त्वचा के कीड़े खत्म होते हैं।
  • बकायन के 8-10 सूखे फलों को 50 मिली सिरके में पीस लें। इसे त्वचा पर लगाने से त्वचा पर  कीड़े लगने वाली बीमारी में लाभ होता है।
  • बकायन के फूलों के रस का लेप करने से खुजली, त्वचा पर होने वाले फोड़े, और पस वाले फोड़े ठीक होते हैं।

 

Uses of Ayurvedic Medicine Bakayan for Skin Disease


 

टाइफाइड बुखार में बकायन (महानिम्ब) के फायदे (Bakayan Uses to Treat Typhoid Fever in Hindi)

  • 10-10 ग्राम बकायन की छाल और धमासा के साथ 10 कासनी के बीज लें। इसे मिलाकर जौ के बराबर कूट लें। अब इसे 50-100 मिली पानी में भिगो दें। कुछ समय बाद इसे अच्छी तरह हाथ से मसलकर-छान लें। इसे दो खुराक देने से ही टाइफाइड बुखार में लाभ होता है।
  • महानिम्ब के कच्चे ताजे गुठली रहित फलों को कूट लें। इसके रस में समान भाग गिलोय का रस मिला लें। दोनों का चौथाई भाग देशी अजवायन का चूर्ण मिला लें। अब इसे खूब खरल करके 500 मिग्रा की गोलियां बना लें। ताजे जल के साथ एक-एक गोली दिन में तीन बार सेवन करें। इससे टाइफाइड बुखार ठीक हो जाता है। इससे खून साफ होता है। यह वात दोष को दूर करता है।


 

बकायन (महानिम्ब) के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Bakayan in Hindi)

बकायन के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-

  • जड़
  • जड़ की छाल
  • लकड़ी
  • लकड़ी की छाल
  • पत्ते का तेल
  • फूल
  • बीज 

 

बकायन (महानिम्ब) का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Bakayan in Hindi?)

बकायन को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-

  • बीज का चूर्ण-1 से 3 ग्राम
  • छाल- 6 से 12 ग्राम
  • छाल का काढ़ा- 50-100 मिली
  • पत्ते का रस- 5 से 10 मिली
  • पत्ते का चूर्ण- 2 से 4 ग्राम 

 

बकायन (महानिम्ब) से नुकसान (Bakayan Side Effects in Hindi)

महानिम्ब का प्रयोग अत्यधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए। इसके अधिक प्रयोग से विषाक्त लक्षण उत्पन्न होते हैं।

  • लिवर संबंधी नुकसान
  • आमाशय संंबंधी नुकसान 

बीमारी होने की स्थिति में मंजीठ और जावित्री का इस्तेमाल करें।

यहां बकायन के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Bakayan or mahanimba benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप बकायन के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए बकायन का सेवन करने या बकायन का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

 

बकायन (महानिम्ब) कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Bakayan Found or Grown?)

भारत में बकायन (Bakayan or mahanimba) हिमालय के निचले प्रदेशों में 1800 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है। यह विशेषतः उत्तर भारत, पंजाब और दक्षिणी भारत में अपने आप होता है या बोया जाता है।

 


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