sahdevi

सहदेवी पौधे के लाभकारी उपाय, सारी समस्याओं का रामबाण है ये

  • By Dr. Tikeshwar rajnire

लखनऊ। घासफूस की श्रेणी में माना जाने वाला सहज सुलभ यह पौधा ताॅत्रिक व आयुर्वेदिक गुणों की खान कहलाता है। यह पौधा गुणों की खाना है, इसलिए इसे देवी पद मिला है। वैसे तो यह पौधा लगभग हर जगह पाया जा सकता है, किन्तु बालू वाली मिट्टी के क्षेत्र में यह अधिक पाया जाता है। आईये जानते यह पौधा आप सभी के जीवन कैसे और कितना उपयोगी है।

  • अतिसार-जो लोग अतिसार रोग ग्रस्त हैं, उन्हें सहदेवी पौधे की जड़ के सात टुकड़ों को एक लाल धागे के सहारे कमर में बाॅध लेने से अतिसार रोग ठीक हो जाता है।
  • धनवृद्धि-सहदेवी की जड़ को अभिमंत्रित करके एक लाल वस्त्र में लपेटकर घर की तिजोरी या व्यापार के गल्ले में रख देने से धीरे-धीरे धन की वृद्धि होने लगती है।
यदि किसी जातक का किसी कार्य में मन नहीं लगता हो तो

कार्य अनिच्छा

यदि किसी जातक का किसी कार्य में मन नहीं लगता हो तो सहदेवी की जड़ को पुष्य नक्षत्र में अभिमंत्रित करके अपने पास रखने से कार्य में मन लगने लगता है।

सामाजिक सम्मान

जो बच्चे कण्ठमाला के रोग से ग्रस्त है...

  • कण्ठमाला रोग-जो बच्चे कण्ठमाला के रोग से ग्रस्त है, वे सहदेवी की जड़ को अभिमंत्रित करके गले में धारण करने से रोग का शमन होता है।
  • सामाजिक सम्मान हेतु-अगर आप चाहते है कि समाज में आपका मान-सम्मान बढ़े तो सहदेवी के पौधे को पीसकर नित्य माथे पर तिलक लगायें व गणेश स्त्रोत का पाठ करें।
  • प्रसव वेदना

    यदि आपके घर में किसी भी प्रकार का वास्तु दोष है तो ...

    • वास्तुदोष निवारण हेतु-यदि आपके घर में किसी भी प्रकार का वास्तु दोष है, जिसके कारण आपके परिवार की प्रगति नहीं हो पा रही है तो घर के पूर्व या उत्तर दिशा में एक सहदेवी का पौधा लगायें और उसकी नियमित धूप-दीप देकर पूजा करने से घर के वास्तुदोष का शमन होकर समृद्धि व खुशहाली आती है।
    • प्रसव वेदना-यदि कोई स्त्री प्रसव वेदना से व्याकुल है हो तो सहदेवी की जड़ को लाल धागे के सहारे उसकी कमर में बाॅध देने से स्त्री शीघ्र ही पीड़ा से मुक्त हो जाती है।
    • सहदेवी का समूचा पौधा सुखाकर फिर उसका चूर्ण बना लें

      महिला को सन्तान की प्राप्ति होती है........

      • सन्तान लाभ-सहदेवी का समूचा पौधा सुखाकर फिर उसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को गाय के घी के साथ मासिकधर्म के पाॅच दिन पूर्व से और पाॅच दिन बाद तक स्त्री को नियमित रूप से सेंवन करना से महिला को सन्तान की प्राप्ति होती है।
      • शत्रु समपर्ण-सहदेवी और अपामार्ग के रस को लोहे के पात्र में रखकर अच्छी तरह घोंटकर फिर उसका तिलक लगाकर शत्रु के सामने जाने पर शत्रु आपके समक्ष आत्म समर्पित हो जाता है।

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