Hindi-तेंदू, कालातेंदू, गाब, गाभ; Oriya-केंदु (Kendu); Kannada-कुशारता (Kusharta); Gujrati-टींबुरणी (Timburani);Tamil-तुम्बि (Tumbi), कट्टी (Kattatti);Telugu-तिंदुकी(Tinduki), विन्दुकी (Vinduki), तुबीकी (Tubiki);Bengali-मकुरकेंदी (Makurkendi);Nepali-खल्लुक (Khalluc);Marathi-तेंबुरणी (Temburani),


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Tinduk: तिंदुक के हैं अनेक अनसुने फायदे- (knowledge)

Tikeshwar rajnire

Tendu or Tinduk

तिंदुक या तेंदू

July12,2020

तिंदुक का परिचय ( Introduction of Tinduk)

क्या आपने तिंदुक नाम पहले कभी सुना है?असल में तिंदुक नाम बहुत कम लोगों ने सुना होगा लेकिन तेंदू, केंदू, गाब, गाभ नाम बहुत जाना पहचाना है। तेंदू एक प्रकार का फल (Tendu Fruit)  है जो चीकू से भी मीठा और कई आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर है। तेंदू के फल हल्के पीले रंग के होते हैं। शायद आप सोच रहे होंगे इस छोटे-से फल को बीमारियों के उपचार के लिए कैसे इस्तेमाल किया जाता है, आइये इसके बारे में आगे विस्तार से जानते हैं।

Tendu or Tinduk

तिंदुक या तेंदू क्या होता है? (What is Tendu in Hindi)

तेंदू के पेड़ (Tendu ka Ped)मध्यामाकार होते हैं।  इसके पत्तों से बीड़ी बनाई जाती है। इसकी लकड़ी चिकनी तथा काले रंग की होती है। इसका उपयोग फर्नीचर बनाने के लिए किया जाता है। चरक-संहिता से उदर्द प्रशमन महाकषाय तथा सुश्रुत-संहिता के न्यग्रोध्रादि-गण में इसका वर्णन मिलता है।

यह 8-15 मी ऊँचा, मध्यमाकार, सघन शाखा-प्रशाखायुक्त सदाहरित वृक्ष होता है। इसकी प्रशाखाएँ अरोमिल तथा तने की छाल गहरे-भूरे अथवा लाल रंग के, हल्के खांचयुक्त होते हैं। इसके पत्ते सरल, एकांतर, 13.7-24 सेमी लम्बे एवं 5 सेमी चौड़े कुंठाग्र अथवा लगभग-लम्बाग्र चिकने तथा चमकीले होते हैं। इसके फूल एकलिंगी, छोटे, सफेद- पीले रंग के, सुगन्धित गुच्छों में होते हैं। इसके फल (Tendu or Kendu Fruit) साधारणतया एकल, 2.5-5 सेमी व्यास (डाइमीटर) के, अण्डाकार-नुकीले,अर्धगोलाकार,अत्यन्त कषाय रस प्रधान कच्ची अवस्था में हल्के भूरे रंग के तथा पक्के अवस्था में पीले रंग के होते हैं। इसके फलों के भीतर चीकू (चीकू के फायदे) के समान मधुर तथा चिकना गूदा रहता है, जिसे खाया जाता है। बीज संख्या में 4-8, गोलाकार अथवा अण्डाकार तथा चमकीले होते हैं। यह मार्च-जून महीने में फलते-फूलते हैं।

तेंदू स्वाद में थोड़ा कड़वा और प्रकृति से अम्लिय, गर्म और रूखा होता है।  तेंदू कफपित्त दूर करने वाला, संग्राही (Constipating), लेखन (Scrapping), स्तम्भक (Styptic), खाने में अरुचि उत्पन्न करने वाला, व्रण (अल्सर) में फायदेमंद होता है।

यह प्रमेह या डायबिटीज, व्रण, रक्तदोष, रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहना), दाह या जलन, मेदोरोग (मोटापा), योनिदोष (योनिरोग) तथा पित्तदोष को ठीक करने वाला होता है।


पका तिंदुक फल (Tendu Fruit) मधुर, हजम करने में थोड़ा, देर से पचने वाला, कफ बढ़ाने वाला, पित्त कम करने वाला तथा प्रमेह यानि सुजाक रोग में हितकर होता है। इसका  लकड़ी का सार पित्त संबंधी रोगों में फायदेमंद होता है। इसका कच्चे फल-स्निग्ध, थोड़े कड़वे, लेखन, लघु, मल को रोकने वाला, शीतल, रूखे, कब्ज दूर करने वाले, वातकारक तथा अरुचिकारक होते हैं।

तेंदू फल एवं त्वचा स्तम्भक (Styptic), दस्त को रोकने वाला, बुखार में उपकारी, जीवाणुरोधी, मुख व गले के रोग में फायदेमंद तथा घाव को जल्दी सुखाने में मदद करती है।


 

अन्य भाषाओं में तेंदू के नाम (Name of Tendu in Different Languages)

तेंदू का वानास्पतिक नाम Diospyros malabarica(Desr.) Kostel. (डाइओस्पाइरस मालाबेरिका)Syn- Diospyros peregrina (Gaertn.) Gurke है। तेंदू Ebenaceae (ऐबेनेसी) कुल का है और इसको अंग्रेजी में Gaub Persimmon (गौब परसीमन)  कहते हैं। भारत के विभिन्न प्रांतों में तेंदू को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है।

Tendu in-

  • Sanskrit-तिन्दुक, स्फूर्जक, कालस्कन्ध, असितसारक, स्तिसारक;  
  • Hindi-तेंदू, कालातेंदू, गाब, गाभ;  
  • Oriya-केंदु (Kendu);  
  • Kannada-कुशारता (Kusharta);  
  • Gujrati-टींबुरणी (Timburani);
  • Tamil-तुम्बि (Tumbi), कट्टी (Kattatti);
  • Telugu-तिंदुकी(Tinduki), विन्दुकी (Vinduki), तुबीकी (Tubiki);
  • Bengali-मकुरकेंदी (Makurkendi);
  • Nepali-खल्लुक (Khalluc);
  • Marathi-तेंबुरणी (Temburani), तिम्बूरी (Timburi);
  • Malayalam-पानाची (Panachi), वनंजी (Vananji)।
  • English-इण्डियन परसीमोन (Indian persimon), मालाबार इबोनी (Malabar ebony), ग्रीन परसीमन (Green persimmon);
  • Arbi-अबनूसेहिन्दी (Abnusehindi);
  • Persian-अबनुसेहिन्दी (Abnusehindi)।


तेंदू के फायदे  (Uses and Benefits of Tendu in Hindi)

अभी तक तेंदू के प्रकृति के बारे में बात कर रहे थे अब तेंदू के औषधीय गुणों और फायदों के बात करेंगे कि कैसे ये बीमारियों के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

 

आँख संबंधी रोगों में फायदेमंद तेंदू (Tendu Benefits in Eye Related Diseases in Hindi)

आँख संबंधी बीमारियों में बहुत कुछ आता है, जैसे- सामान्य आँख में दर्द, रतौंधी, आँख लाल होना आदि। इन सब तरह के समस्याओं में तेंदू (Indian Persimmon fruit) से बना घरेलू नुस्ख़ा बहुत काम आता है। फल के रस का अंजन यानि काजल की तरह लगाने से आँख संबंधी रोगों में फायदा मिलता है।

 

कान के दर्द से दिलाये राहत केंदू (Kendu Fruit Benefits to Get Relief from Ear Pain in Hindi)

अगर सर्दी-खांसी या  किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के तौर पर कान में दर्द होता है तो तेंदू से इस तरह से इलाज करने पर आराम मिलता है। तिंदुक, हरीतकी, लोध्र, मंजिष्ठा तथा आँवला के 1-3 ग्राम चूर्ण में मधु एवं कपित्थ रस मिलाकर छानकर 1-2 बूंद कान में डालने से कान दर्द में लाभ होता है।


 

मुँह के छाले में फायदेमंद तेंदू (Uses of Tendu or Persimmon Fruit to Heals Mouth Ulcer in Hindi)

अगर बार-बार मुँह में छाले हो रहे हैं तो तेंदू का घरेलू इलाज बहुत ही फायदेमंद साबित होगा। तेंदू  फल के जूस का गरारा करने से मुँह के छाले तथा गले का घाव भी जल्दी भरते हैं। इसके अलावा फलों का काढ़ा बनाकर गरारा करने से मुंह के छालों दूर होते हैं।

Munh ke chhale


खाँसी में फायदेमंद तेंदू (Tendu Benefits in Cough in Hindi)

अगर मौसम के बदलाव के कारण खांसी से परेशान है और कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है तो तेंदू से इसका इलाज किया जा सकता है। तिन्दुक छाल की गोलियां बनाकर चूसने से खाँसी से राहत मिल सकती है।


 

अतिसार या दस्त रोके तेंदू (Persimmon Fruit Benefits to Get Relief from Diarrhea in Hindi)

अगर ज्यादा मसालेदार खाना, पैकेज़्ड फूड या बाहर का खाना खा लेने के कारण दस्त है कि रूकने का  नाम ही नहीं ले रहा तो तेंदू का घरेलू उपाय बहुत काम आयेगा।

-तिन्दुक त्वचा के पेस्ट को गम्भारी पत्ते से लपेट कर पुटपाक-विधि से रस निकाल कर 5-10 मिली रस में मधु मिलाकर सेवन करने से अतिसार या दस्त में लाभ मिलता है।

-10-20 मिली तिंदुक छाल काढ़े को पीने से पेचिश (प्रवाहिका), अतिसार व मलेरिया के बुखार में लाभ होता है।

-तेंदू फल (Tendu fruit) के गूदे को खिलाने से अतिसार में लाभ होता है।

-1 ग्राम बीज चूर्ण का सेवन करने से अतिसार ठीक होता है।

 

Tendu or Tinduk

तिंदुक या तेंदू

मूत्र मार्ग में अश्मरी या पथरी में तिंदुक या केंदू के फायदे (Kendu Fruit Benefits in Urinary Calculi in Hindi)

तेंदू के औषधीय गुण मूत्र मार्ग से पथरी निकालने में फायदेमंद होते हैं। तिंदुक के पके हुए फल को खाने से मूत्रमार्ग की पथरी टूट-टूट कर निकल जाती है।

 

ल्यूकोरिया रोकने में फायदेमंद तेंदू (Benefits of Tendu Fruit in Leucorrhoea in Hindi)

महिलाओं को अक्सर योनि से सफेद पानी निकलने की समस्या होती है। सफेद पानी का स्राव अत्यधिक होने पर कमजोरी भी हो जाती है। इससे राहत पाने में तेंदू का इस्तेमाल फायदेमंद होता है। तेंदू के फल के रस (Tendu fruit juice) में जल मिलाकर योनि का प्रक्षालन (धोने) करने से श्वेत प्रदर (सफेद पानी) में लाभ होता है या तिन्दुक फलों का काढ़ा बनाकर योनि का प्रक्षालन करने से योनिस्राव कम होता है।

 

अर्दित या लकवा में तेंदू के फायदे (Uses of Tendu Fruit for Paralysis in Hindi)

लकवा के कष्ट से राहत दिलाने में केंदू के (Kendu fruit)औषधीय गुण बहुत काम आते हैं। लकवा के कारण यदि जिह्वा-स्तम्भ या जीभ हिल नहीं रहा है तथा बोलने की शक्ति अस्पष्ट हो गई है तो, तिन्दुक जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से तथा 1-2 ग्राम छाल चूर्ण में 1 ग्राम मरिच चूर्ण मिलाकर जिह्वा में घिसने से लाभ होता है।


 

चेहरे की खोई रंगत लौटाये तेंदू के फायदे (Benefits of Tendu for Glowing Skin in Hindi)

आजकल प्रदूषण के कारण चेहरे की रंगत खोने लगी है लेकिन तेंदू का इस्तेमाल करने से चेहरे पर अलग चमक आ जाती है। तिन्दुक रस से तिन्दुक फल को पीसकर लेप करने से त्वचा की रंगत दूर हो जाती है तथा मुख के रंग तथा कान्ति की वृद्धि होती है।

Glowing skin

जले हुए घाव को भरने में करे मदद तेंदू (Tendu Heals Burn in Hindi)

जले हुए घाव के दर्द, जलन से राहत दिलाने के साथ घाव को भरने में भी तेंदू का औषधीय गुण काम आता है।

-तिन्दुक काढ़े में घी मिलाकर आग से जले हुए स्थान का सिंचन व लेप करने से घाव भर जाता है।

-तिन्दुक छाल काढ़े में तिल मिलाकर जले हुए स्थान पर लगाने से लाभ होता है।

 

बुखार में फायदेमंद तेंदू (Tendu Beneficial in Fever in Hindi)

अगर मौसम के बदलने के वजह से या किसी संक्रमण के कारण बुखार हुआ है तो उसके लक्षणों से राहत दिलाने में तेंदू बहुत मदद करता है। 10-15 मिली तिंदुक छाल काढ़े में मधु मिलाकर पिलाने से ज्वर में लाभ होता है।

 

सूजन में तेंदू के फायदे (Benefits of Persimmon fruit for Inflammation in Hindi)

अगर किसी चोट के कारण या बीमारी के वजह से किसी अंग में हुए सूजन से परेशान है तो तेंदू के द्वारा किया गया घरेलू इलाज बहुत ही फायदेमंद होता है। तिंदुक की काष्ठ को घिसकर सूजन वाली जगह पर लगाने से सूजन कम होता है।


 

हिचकी में लाभकारी तेंदू (Tendu Fruit uses to stop Hiccups in Hindi)

जामुन तथा तिन्दुक या केंदू (Kendu fruit) के फूल और फल के (1-3 ग्राम) पेस्ट में मधु तथा घी मिला कर खिलाने से बच्चों की हिचकी रुक जाती है।


 

तेंदू के उपयोगी भाग (Useful Parts of Tendu)

आयुर्वेद में तेंदू के फल के रस, लकड़ी, छाल का काढ़ा, बीज का चूर्ण तथा फूल के औषधि के रुप में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।

Tendu or Kendu fruit

तेंदू का इस्तेमाल कैसे किया जाता है? (How to Use Tendu in Hindi?)

बीमारी के लिए तेंदू या तेंदू के फूल (Indian Persimmon fruit) के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए तेंदू के फूल का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें। चिकित्सक के परामर्शानुसार-

  • -10-15 मिली त्वचा का काढ़ा
  • -1-2 ग्राम त्वचा का चूर्ण
  • -5-10 मिली रस का सेवन कर सकते हैं।

 

तेंदू कहां पाया और उगाया जाता है? (Where Tendu in Found and Grown in Hindi)

तेंदू या केंदू का पेड़ भारत में विशेषत गुजरात तथा मध्य प्रदेश में पाया जाता है।


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