Hindi – भुई आंवला, भुरि आंवला, हजारमणी, लाल भुइऔ आंवलाEnglish – स्टोनब्रेकर (Stonebreaker), लीफफ्लावर (Leafflower), चैम्बरबिटर (Chamber bitter)Sanskrit – ताली, भूम्यामलकी, शिवा, तामलकी, बहुफला, बहुपत्रा, बहुवीर्या, भूधात्रीKannada – केम्पूकीरानेल्ली (Kempukiranelli)Gujarati – भोंएआवली (Bhoen awali)Tamil – शिवाप्पुनेल्ली (Shivappunelli)Telugu – एट्टाउसीरीका (Ettausirika)Bengali – भुई आमला (Bhui amla), हजारमनी (Hazarmani)Nepali – भुई आंवला (Bhui anwala), कन्थड (Kanthad)
भुई आँवला के फायदे, नुकसान व सेवन की विधि (Bhumi Amla Benefits in Hindi)(knowledge)
आप भुई आंवला के वृक्ष (bhumi amla plant) के बारे में शायद बिल्कुल नहीं जानते होंगे। असल में, बहुत कम लोग भुई आंवला के बारे में जानते हैं। भुई आंवला एक जड़ी-बूटी है। आयुर्वेद के अनुसार, भुई आंवला के फायदे से अनेक बीमारियों को ठीक किया जाता है। आप भूमि आंवला से लाभ लेकर भूख की कमी, और कामोत्तेजना बढ़ाने में मदद पा सकते हैं। इसके अलावा भी भुई आंवला के कई अन्य लाभ भी हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, भुई आंवला स्वाद में कसैला और मीठा होता है। अधिक प्यास लगने की परेशानी, खांसी, खुजली, कफ और बुखार आदि में भूमि आंवला के फायदे तो मिलते ही हैं, साथ ही लीवर के किसी भी प्रकार के रोग के लिए भुई आंवला को दिव्य औषधि भी माना जाता है। अगर आप इसे लेप घाव पर करेंगे तो इससे घाव भी ठीक हो जाता है। यह कुष्ठ रोग में भी उपयोगी होता है। आइए जानते हैं कि भूमि आंवला के औषधीय गुण से किस-किस रोग में लाभ मिल सकता है।
भुई आंवला क्या है? (What is Bhui Amla in Hindi)
भुई आंवला के छोटे-छोटे पौधे (bhumi amla plant) वर्षा-ऋतु में उत्पन्न होते हैं। ये पौधे शरद्-ऋतु में फूलने-फलने के बाद गर्मी के मौसम में सूख जाते हैं। इसके फल धात्रीफल की तरह गोल, लेकिन आकार में छोटे होते हैं। इसी कारण इसे भूधात्री और भूम्यामल भी बोला जाता है। भू-आंवला की तीन प्रजातियां होती हैं-
1.Phyllanthus urinariaLinn-
इसका पौधा (bhumi amla tree) शाखाओं से युक्त, सीधा और भूमि पर फैलने वाला होता है। इसके पत्ते छोटे, चपटे होते हैं। इसके पत्ते आंवले के पत्तों के समान होतेत हैं, लेकिन आंवले के पत्तों की तुलना में ये छोटे एवं चमकीले होते हैं।इसके फल गोलाकार, धात्रीफल जैसे गोल एवं शाखाओं के नीचे एक कतार में निकले हुए होते हैं।
2.Phyllanthus maderaspatensis L
यह पौधा (bhumi amla tree) सीधा या जमीन पर फैलता है। इसके तने की छाल, शाखाएं, और फल लाल रंग के होते हैं। इसके पत्ते आंवले जैसे चिकने और चमकीले हरे रंग के होते हैं। इसके फूल गोलाकार होते हैं। इसके पंचांग का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है। यह कफ विकार, पेशाब से संबंधित बीमारी, भूख की कमी को दूर करने और कामोत्तेजना को बढ़ाने में मदद करता है।
3.Phyllanthus niruri L
चिकित्सा की दृष्टि से Phyllanthus urinaria Linn. का ही प्रयोग किया जाता है।
अन्य भाषाओं में भुई आंवला के नाम (Name of Bhui Amla in Different Languages)
भुई आंवला का वानस्पतिक नाम फाइलैन्थस यूरीनेरिया (Phyllanthus urinaria Linn., Syn-Diasperus urinaria (Linn.) Kuntze, है, और यह यूफॉर्बिएसी (Euphorbiaceae) कुल का है। इसे देश और विदेशों में इन नामों से भी जाना जाता हैः-
Bhui Amla in-
- Hindi – भुई आंवला, भुरि आंवला, हजारमणी, लाल भुइऔ आंवला
- English – स्टोनब्रेकर (Stonebreaker), लीफफ्लावर (Leafflower), चैम्बरबिटर (Chamber bitter)
- Sanskrit – ताली, भूम्यामलकी, शिवा, तामलकी, बहुफला, बहुपत्रा, बहुवीर्या, भूधात्री
- Kannada – केम्पूकीरानेल्ली (Kempukiranelli)
- Gujarati – भोंएआवली (Bhoen awali)
- Tamil – शिवाप्पुनेल्ली (Shivappunelli)
- Telugu – एट्टाउसीरीका (Ettausirika)
- Bengali – भुई आमला (Bhui amla), हजारमनी (Hazarmani)
- Nepali – भुई आंवला (Bhui anwala), कन्थड (Kanthad)
- Marathi – भुई आंवली (Bhui avali)
- Malayalam – चूकान्नकीजहानेल्ली (Chukannakizhanelli)
- Manipuri – चक्पा-हैक्रू (Chakpa-heikru)
भुई आंवला के फायदे (Bhui Amla Benefits and Uses in Hindi)
भूमि आंवला के औषधीय गुण का पूरा लाभ लेने के लिए इसके औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा एवं विधियों के बारे में पूरी और सही जानकारी होनी चाहिए, जो यहां बताई जा रही हैः-
घाव सुखाने में भुई-आंवला का औषधीय गुण फायदेमंद (Benefits of Bhumi Amla Juice for Healing Chronic Wounds in Hindi)
- भूम्यामल के रस को घाव पर लगाने से घाव ठीक होता है।
- भुई आंवला पंचांग को चावल के पानी के साथ पीसकर घाव पर लगाने से घाव की सूजन ठीक हो जाती है।
- भुई आंवला के पत्तों का काढ़ा बनाकर घाव को धोने से भी घाव ठीक होता है।
- भुई-आंवला के कोमल पत्तों को पीसकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है।
सांसों की बीमारी में भुई-आंवला के फायदे (Bhumi Amla Plant Benefits to Treats Respiratory Disease in Hindi)
- सांसों से जुड़ी बीमारियों में भुई आंवला बहुत फायदेमंद होता है। भूम्यामलकी की 10 ग्राम जड़ को जल में पीस लें। इसमें 1 चम्मच मिश्री या शहद मिलाएं। इसे पिलाने से, और इसको नाक के रास्ते देने से सांसों के रोग में लाभ होता है।
- भुई आंवला के 50 ग्राम पंचांग को आधा लीटर जल में गर्म करें। जब यह एक चौथाई बच जाए तो इस काढ़ा को एक-एक चम्मच दिन में दो बार पिलाने से सांसों के रोग में लाभ होता है।
खुजली में भुई-आंवला के औषधीय गुण से लाभ (Bhumi Amla Uses to Treat Itching in Hindi)
- भुई आंवला के पत्तों को पीस लें। इसमें नमक मिलाकर खुजली पर लगाएं। खुजली ठीक हो जाती है। इसे जांघों की खुजली में भी लगाया जा सकता है।
- जिस अंग पर चोट लगी होस, वहां भुई-आंवला के कोमल पत्तों पीसकर लगाएं। इससे चोट का दर्द कम हो जाता है।
आंखों की बीमारी में भुई-आंवला के फायदे (Bhumi Amla Tree Benefits for Eye Disease in Hindi)
भुई आंवला (Bhumi Amla Patanjali) को सेंधा नमक के साथ तांबे के बर्तन में जल में घिसें। इसे आंखों के बाहर लेप करने से आंखों के रोग में लाभ होता है।
मुंह के छाले में भुई-आंवला के सेवन से फायदा (Benefits of Bhumi Amla for Mouth Ulcer in Hindi)
भूम्यामलकी के 50 ग्राम पत्ते लें। इसे 200 मिली जल में मिलाकर काढ़ा बना लें। इससे कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।
भुई-आंवला के सेवन से खांसी से आराम (Bhumi Amla Tree Uses in Fighting with Cough in Hindi)
- भुई आंवला (Bhumi Amla Patanjali) के 50 ग्राम पंचांग को आधा लीटर जल में गर्म कर लें। जब काढ़ा एक चौथाई रह जाए है तो एक-एक चम्मच काढ़ा को दिन में दो बार पिलाने से खांसी में लाभ होता है।
- पिप्पली, लाल चन्दन, भुई आंवला, सारिवा और अतीस आदि द्रव्यों से बने घी का नियम से सेवन करें। इससे भी खांसी की बीमारी से आराम मिलता है।
पेट के रोग में भुई-आंवला का सेवन फायदेमंद (Benefits of Patanjali Bhumi Amla Juice for Abdominal Pain in Hindi)
- भुई आंवला के 20 ग्राम पत्तों को 200 मिली जल में उबालें। इसे छानकर थोड़ा-थोड़ा पीने से पेट दर्द से आराम मिलता है।
- भुई आंवला की जड़ और पत्तों से काढ़ा बना लें। इसे ठंडा होने पर लगभग 10-20 मिली मात्रा में दिन में दो बार लें। इससे जलोदर रोग में लाभ होता है।
- भुई आंवला के 50 ग्राम पंचांग को 400 मिली पानी में पकाएं। जब पानी एक चौथाई हो जाए तो शेष काढ़ा को 10 मिली की मात्रा में दिन में तीन चार बार पिलाएं। इससे जलोदर रोग में लाभ होता है।
- त्रायमाणाद्य घी में भूम्यामलकी को मिलाकर सेवन करने से पित्तज विकार के कारण होने वाले गांठ की समस्या, रक्त विकार के कारण होने वाली गांठ की बीमारियों में फायदा होता है।
आंतों के रोग में भुई-आंवला के सेवन से लाभ (Patanjali Bhumi Amla Powder Benefits for Intestines Disease in Hindi)
छाया में सुखाए हुए भूमि आंवला को मोटा-मोटा कूटकर रख लें। अब 10 ग्राम भूम्यामलकी को 400 मिली पानी में पकाएं। जब यह एक चौथाई से भी कम रह जाए, तब छानकर सुबह खाली पेट, और रात को भोजन से एक घण्टा पहले सेवन करें। यह आंतों में होने वाले घाव (अल्सर) को ठीक करने वाली चमत्कारिक औषधि है।
भुई-आंवला के औषधीय गुण से सिर दर्द से आराम (Bhumi Amla Tree Uses to Relieves from Headache in Hindi)
सिर दर्द से आराम पाने के लिए घी में पिप्पली, लाल चन्दन, भुई आंवला (Bhumi amla patanjali), सारिवा और अतीस आदि द्रव्यों से मिला लें। इसका सेवन करें। इससे सिर दर्द ठीक हो जाता है।
बुखार में भुई-आंवला के औषधीय गुण फायदेमंद (Bhumi Amla Plant Benefits in Fighting with Fever in Hindi)
- भुई आंवला (bhumi amla) के कोमल पत्तों लें। पत्ते की एक चौथाई काली मिर्च लें। दोनों को पीस लें। पीसने के बाद जायफल के बराबर गोलियां बना कर 2-2 गोली दिन में दो बार दें। अगर कोई रोगी गंभीर बुखार से ग्रस्त है तो इससे लाभ होता है। इसके साथ ही बार-बार आने वाले गंभीर बुखार में भी लाभ होता है।
- घी में पिप्पली, लाल चन्दन, भुई आंवला, सारिवा तथा अतीस आदि सामान पकाएं। इसका सेवन करने से बुखार में लाभ होता है।
- बलादि घी में बला मूल, गोखरू, निम्ब, पर्पट, भूम्यामलकी, और नागरमोथा को पकाएं। इसका सेवन करने से भी बुखार में लाभ होता है।
मूत्र रोग में भुई-आंवला के फायदे (Benefits of Bhumi Amla to Treat Urinary Disease in Hindi)
- 10 मिली भुई आंवला (bhumi amla) के रस में जीरा और चीनी मिलाकर पिएं। इससे पेशाब में जलन सहित अन्य मूत्र से संबंधित विकार ठीक होते हैं।
- एक चम्मच भुई आंवला के पत्ते के रस में जीरा और चीनी मिलाकर देने से पेशाब की जलन की बीमारी में लाभ होता है।
- 10 मिली भुई आंवले के रस में 10 मिली गाय का घी मिलाएं। इसका सेवन करने से पेशाब के रुक-रुक कर आने की परेशानी में लाभ होता है।
- इसके 100 ग्राम पत्तों को 250 मिली दूध के साथ मसलकर पिलाने से मूत्र संबंधी विकार ठीक होते हैं।
भुई-आंवला के सेवन से दस्त पर रोक (Bhumi Amla Juice Uses to Stop Diarrhea in Hindi)
- भुई आंवला (bhoomi amla) के 50 ग्राम पंचांग को 400 मिली पानी में पकाएं। जब पानी एक चौथाई रह जाए तो मेथी का चूर्ण 5 ग्राम मिलाएं। इसे थोड़ा-थोड़ा पीने से दस्त की गंभीर समस्या में लाभ होता है।
- भुई आंवला के 20 ग्राम पत्तों को 200 मिली जल में उबालें। इसे छानकर थोड़ा-थोड़ा पीने से दस्त पर रोक लगती है।
मासिक धर्म विकार में भुई-आंवला के इस्तेमाल से लाभ (Patanjali Bhumi Amla Powder Benefits for Menstrual Disorder in Hindi)
पांच ग्राम भुई-आंवला के बीज का चूर्ण बना लें। इसे चावलों के धुले हुए पानी के साथ दो या तीन दिन पिएं। इससे मासिक धर्म विकार में फायदा होता है। इससे मासिक धर्म के दौरान अधिक खून आना बंद हो जाता है। इसकी जड़ के चूर्ण को भी इसी प्रकार देने से लाभ होता है।
भुई-आंवला के औषधीय गुण से सूजाक (गोनोरिया) का इलाज (Uses of Bhoomi Amla to Treat Gonorrhea in Hindi)
एक चम्मच भुई आंवला के पत्ते के रस (Bhumi Amla Patanjali) में जीरा और चीनी मिलाकर देने से सुजाक (गोनोरिया) में लाभ होता है।
स्तनों की सूजन में भुई-आंवला से लाभ (Uses of Bhumi Amla to Reduces Breast Inflammation in Hindi)
स्तनों की सूजन को ठीक करने के लिए भी भुई आंवला बहुत काम आता है। भुई आंवला (bhoomi amla) के पंचांग को पीसकर स्तन पर लेप करें। इससे स्तनों की सूजन ठीक हो जाती है।
डायबिटीज में भुई-आंवला के सेवन से फायदा (Patanjali Bhumi Amla Powder Benefits in Controlling Diabetes in Hindi)
- 15 ग्राम भुई आंवला पंचांग के चूर्ण (Patanjali Bhumi amla powder) में 20 काली मिर्च चूर्ण मिलाएं। इसे दिन में दो तीन बार सेवन करने से डायबिटीज में लाभ होता है।
- 20 मिली भुई आंवले के रस में 2 चम्मच घी मिलाकर सुबह और शाम देने से डायबिटीज में लाभ होता है।
भुई-आंवला के औषधीय गुण से पीलिया का इलाज (Benefits of Bhumi Amla in Fighting with Jaundice in Hindi)
- भूआमलकी का पेस्ट बनाकर छाछ के साथ सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
- भूधात्री की 5 ग्राम जड़ को पीस लें। इसे सुबह और शाम 250 मिली दूध के साथ खाली पेट लें। इससे पीलिया रोग में लाभ होता है।
कुष्ठ रोग में भुई-आंवला के फायदे (Benefits of Bhui Amla for Leprosy Disease in Hindi)
त्रायमाणाद्य घी में भूम्यामलकी को मिलाकर सेवन करें। इससे त्वचा रोग जैसे विसर्प रोग और कुष्ठ रोग में लाभ होता है। अधिक जानकारी के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
टीबी रोग में भुई-आंवला का सेवन फायदेमंद (Bhumi Amla Uses to Treat TB Disease in Hindi)
घी में पिप्पली, लाल चन्दन, भुई आंवला (Patanjali Bhumi amla powder), सारिवा, और अतीस को मिलाकर पकाएं। इसका सेवन करने से टीबी रोग में लाभ होता है।
लिवर रोग में फायदेमंद भुई आंवला का सेवन (Uses of Bhumi Amla for Liver Related Disorder in Hindi)
छाया में सुखाए हुए भूमि आंवला को मोटा-मोटा कूटकर रख लें। 10 ग्रामकी मात्रा को 400 मिली पानी में पकाएं। जब एक चौथाई से भी कम रह जाए, तब छानकर सुबह खाली पेट और रात को भोजन से एक घण्टा पहले सेवन करें। यह लिवर के दर्द में लाभदायक होता ही है, साथ ही पीलिया, शरीर के किसी भी अंग में होने वाले सूजन को भी ठीक (bhoomi amla benefits) करता है। आप भुई आंवला के चूर्ण का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
भुई-आंवला के सेवन से ह्रदय रोग में लाभ (Bhumi Amla Benefits for Heart and Vascular Diseases in Hindi)
त्रायमाणाद्य घी में भूम्यामलकी को मिलाकर सेवन करने से ह्रदय संबंधित रोगों में लाभ होता है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
भुई आंवला के उपयोगी भाग (Useful Parts of Bhui Amla in Hindi?)
भुई आंवला का इस्तेमाल इस तरह से किया जा सकता हैः-
- भुई आंवला पंचांग
- भुई आंवला के पत्ते
- भुई आंवला की जड़
भुई आंवला का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Bhui Amla in Hindi?)
भुई आंवला का इस्तेमाल इतनी मात्रा में कर सकते हैंः-
- भुई आंवला का रस (Patanjali Bhumi amla juice) – 10-15 मिली
- भुई आंवला चूर्ण (Patanjali bhumi amla powder) – 3-6 ग्राम
- भुई आंवला का काढ़ा – 10-30 मिली
अधिक लाभ लेने के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार प्रयोग करें।
भुई आंवला कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Bhui Amla Found or Grown?)
भुई आंवला प्रायः आर्द्र स्थानों में खरपतवार के रूप में पैदा होता है। भारत में सभी स्थानों पर यह पाया जाता है। लगभग 900 मीटर की ऊंचाई तक इसके पौधे (bhumi amla tree) मिलते हैं।
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