-मुचकुन्द, क्षत्रवृक्ष, प्रतिविष्णुक; Hindi-मुचुकुन्द, कनक चम्पा; Assamese-मोरागोस (Moragos); Odia-कोनोकोचोम्पा (Konokochompa), मुशकुन्दो (Mushukundo); Kannada-कनकचम्पक (Kanakachampak), राजतरु (Rajtaru); Tamil-वेनांगु (Vennangu); Telugu-मत्सकाण्डा (Matsa kanda); Bengali-कनक चम्पा (Kanak champa), मुस्कन्दा (Muskanda), कनकचंपा (Kanakchampa);


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Muchkund: फायदे से भरपूर है मुचकुन्द – (knowledge)

Tikeshwar Rajnire 🙏


मुचकुन्द या कनक चंपा का परिचय (Introduction of Muchkund)

मुचकुन्द का नाम सुना है? नहीं ना! लेकिन जैसे ही कनक चंपा का नाम सुनेंगे आपका चेहरा अवश्य ही खिल जायेगा। भीनी-भीनी महक वाला कनक चंपा देखने में जितना सुंदर लगता है उतना ही उसका औषधीय गुण अनगिनत होता है। कनक चंपा न सिर्फ दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है बल्कि यह पात्र के रूप में भी काम आता है।

 

मुचकुन्द क्या है? (What is Muchkund in Hindi?)

मुचकुन्द  25 मी ऊँचा, मोटा मध्यम आकार का सुंदर वृक्ष होता है। इसकी छाल शल्क-युक्त, भूरे रंग की तथा लम्बाई में दरार युक्त होती है। इसके पत्ते 25-35 सेमी लम्बे, 15-30 सेमी चौड़े, साधारण, छत्राकार, रोमश, हृदयाकार, ऊपरी भाग हरा तथा निचला भाग सफेद रोमवाला होता है। इसके फूल 12-15 सेमी व्यास के, श्वेत पीताभ, सुगन्धित, एकल होते हैं। इसके फल 10-15 सेमी लम्बे, पर्पटी जैसे देखने वाले आवरण से भरे, कड़े, पञ्चकोणीय, गहरे भूरे रंग के तथा काष्ठीय होते हैं। फलों के ऊपर लाल रंग के रज कण होते हैं। बीज अनेक तथा बीज-चोल चिकने, भूरे रंग के होते हैं। इसका पुष्पकाल मार्च से जुलाई एवं फलकाल पुष्पकाल के 1 वर्ष पश्चात् होता है।

 

अन्य भाषाओं में मुचकुन्द के नाम (Names of Muchkund in Different Languages)

कनक चंपा का वानास्पतिक नाम Pterospermumacerifolium (Linn.) Willd. (टेरोस्पर्मम ऐसरिफोलियम)

Syn-Pentapetes acerifolia Linn होता है। इसका कुल Sterculiaceae (स्टरक्यूलिएसी) होता है और इसको अंग्रेजी में Maple-leaved bayur (मैपल-लीव्ड बेयर) कहते हैं। चलिये अब जानते हैं कि मुचकुन्द और किन-किन नामों से जाना जाता है। 

Sanskrit-मुचकुन्द, क्षत्रवृक्ष, प्रतिविष्णुक; 

Hindi-मुचुकुन्द, कनक चम्पा; 

Assamese-मोरागोस (Moragos); 

Odia-कोनोकोचोम्पा (Konokochompa), मुशकुन्दो (Mushukundo); 

Kannada-कनकचम्पक (Kanakachampak), राजतरु (Rajtaru); 

Tamil-वेनांगु (Vennangu); 

Telugu-मत्सकाण्डा (Matsa kanda); 

Bengali-कनक चम्पा (Kanak champa), मुस्कन्दा (Muskanda), कनकचंपा (Kanakchampa); 

Nepali-हात्ती पाइला (Hatti paila); 

Malayalam-मुचकुंदम (Muchkundam); 

Marathi-मुचकन्द (Muchkand), करनिकर (Karnikar)।

English-डिनर प्लेट ट्री (Dinner plate tree), कार्नीकारा ट्री (Karnikara tree)।

मुचकुन्द का औषधीय गुण (Medicinal Properties of Muchkund in Hindi)

मुचकुन्द देखने में जितना आकर्षक लगता है उतना ही इसका औषधीय गुण अनगिनत होता है।

मुचकुंद कड़वा, तिक्त, उष्ण, कफशामक, स्वरवर्धक तथा रक्तपित्त (कान-नाक से खून बहने की बीमारी), शिरोरोग या सिरदर्द, विषरोग, मुखरोग, कास या खांसी, कण्ठरोग या गले की बीमारी, व्रण या अल्सर, पामा या एक्जिमा, व सूजन को कम करने में सहायक होता है।

इसके फूलों में एक प्रकार का सुगन्धित तेल रहता है; जो वेदनाशामक या दर्द कम करने में मदद करता है।

इसके फूल स्तम्भक या खून को रोकने में सहायक,कड़वा, तीखा, अल्प ऊष्माजनक (श्लेष्मीय), चिपचिपे (Mucilaginous), वेदनाहर, विशोधक विषरोधी (Alexiteric), तीक्ष्ण, कफनाशक, पित्तरोधी, रक्त को शुद्ध करने में मददगार तथा श्वसनिकाशोथरोधी होते हैं।

इसके पत्ते रक्तस्तम्भक, स्तम्भक, तीखा तथा विशोधक (Depurative) होते हैं।

यह सिरदर्द, सूजन तथा प्रदाहनाशक या सूजन कम करने में सहायक व स्वरदायक (Improves the voice) है।


मुचकुन्द के फायदे और उपयोग (Uses and Benefits of Muchkund in Hindi) 

मुचकुन्द में पौष्टिकारक गुण होता है, उतना ही औषधी के रूप में कौन-कौन से बीमारियों के लिए फायदेमंद होते है,चलिये इसके बारे में आगे जानते हैं-

ग्रसनी या फैरिन्जाइटिस के दर्द से दिलाये आराम मुचकुन्द (Muchkund Beneficial to Treat in Hindi)

sore throat

मुचकुन्द फूल तथा पत्ते से बने काढ़े से गरारा करने से ग्रसनी शोथ (ग्रासनली की सूजन) तथा गले की खरास से आराम मिलता है।

सिरदर्द से दिलाये आराम मुचकुन्द (Uses of Muchkund to Get Relief from Headache in Hindi)

अगर दिन भर के तनाव के कारण सिर में दर्द कर रहा है तो चावल तथा मुचकुन्द फूल को सिरके में पीसकर सिर पर लेप करने से शिरशूल या सिरदर्द से आराम मिलता है।

 

कास या खांसी से दिलाये आराम मुचकुन्द (Uses of Muchkund to Get Relief from Cough in Hindi)

मुचकुन्द चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करने से खाँसी तथा सांस की नली की सूजन से आराम मिलने में मदद मिलती है।

अतिसार या दस्त से दिलाये आराम मुचकुन्द (Muchkund Beneficial to Treat Diarrhoea in Hindi)

मुचकुंद के पत्तों का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पीने से पेट दर्द, अतिसार तथा प्रवाहिका आदि में लाभ होता है।

रक्तार्श में लाभकारी मुचकुन्द (Muchkund Beneficial to Treat Hemorrhoids in Hindi)

मुचकुन्द का औषधीय गुण रक्तार्श के इलाज में मदद करता है-

-पत्रों को पीसकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से बवासीर से बहने वाला रक्त बंद हो जाता है।

-1-2 ग्राम मुचकुंद फूल के चूर्ण में घी एवं शर्करा मिलाकर खाने से रक्तार्श में लाभ होता है।

-5-10 ग्राम मुचकुंद फूल के चूर्ण में घी तथा शक्कर मिलाकर या इसका हलवा बनाकर खाने से बवासीर से खून का गिरना बंद हो जाता है।

 

श्वेत प्रदर या सफेद पानी के इलाज में लाभकारी मुचकुन्द (Benefit of Muchkund to Get Relief from Leucorrhea in Hindi)

 

सफेद पानी की समस्या महिलाओं के लिए आम समस्या होती है। मुचकुन्द के पत्तों को पीसकर योनि में लगाने से श्वेतप्रदर तथा योनिशूल में लाभ होता है।

 

सूजन को कम करने में लाभकारी मुचकुन्द (Benefit of Muchkund to Get Relief from Inflammation in Hindi)

मुचकुंद पत्ते को पीसकर व्रण तथा चोट पर लगाने से घाव जल्दी भरता है तथा सूजन कम हो जाती है।

 

रोमकूपशोथ को कम करने में लाभकारी मुचकुंद (Muchkund Beneficial to Treat Folliculitis in Hindi)

रोमकूप के सूजन से परेशान है तो कनक चंपा का इस तरह से प्रयोग करने से जल्दी राहत मिलती है। मुचकुन्द पत्ते को पीसकर लगाने से रोमकूपशोथ (बालतोड़) से राहत मिलती है।


 

कीटों के काटने पर उसके विष के असर को कम करे मुचकुंद (Muchkund Beneficial to Treat Animal Bite in Hindi)

Snake Bite

विषाक्त जीवों द्वारा काटे गए स्थान पर मुचकुन्द पुष्प कल्क को पीसकर लेप करने से वेदना, शोथ आदि प्रभावों का शमन होता है।

मुचकुन्द का उपयोगी भाग (Useful Parts of Muchkund)

आयुर्वेद के अनुसार मुचकुन्द का औषधीय गुण इसके इन भागों को प्रयोग करने पर सबसे ज्यादा मिलता है-

-पत्ता

-छाल और

-फूल।

 

मुचकुन्द का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए (How to Use Muchkund in Hindi)

यदि आप किसी ख़ास बीमारी के घरेलू इलाज के लिए मुचकुन्द या कनक चंपा का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करें। चिकित्सक के सलाह के अनुसार 5-10 ग्राम चूर्ण और 10-15 मिली काढ़ा ले सकते हैं।


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