गोरखगाँजा, गोरखबूटी, ठिकरीतोड़English- Polpala (पोलपाला), माउण्टेन नॉट ग्रास (Mountain knot grass); Sanskrit- गोरक्षगञ्जाOriya- पाउनसिआ (Paunsia)Konkanni- ताम्डलो (Tamdlo)Kannada- बिली हिम्डी सोप्पू (Bili himdi soppu)Gujarati- बर (Bur), कापुरीमाधुरी (Kapurimadhuri), गोरखगंजो (Gorakhganjo)Tamil- सिरूपुलई (Sirupulai), चेकपुलई (Checkpulai)Telugu- पिंडीकोम्डा (Pindikumda), पिंडीचेट्टू (Pindicettu)


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Gorakshaganja (Gorakhbuti): बेहद गुणकारी है गोरक्षगंजा (गोरखबूटी)-( knowledge)

Tikeshwar Rajnire

लोग गोरखगांजा (Polpala or Gorakshaganja) को गोरक्षगाजा, गोरखबूटी, ठिकरीतोड़ भी बोलते हैं। यह जंगल-झाड़ आदि में अपने आप होने वाला पौधा है। आपने भी गोरखबूटी के पौधे को जरूर देखा होगा, लेकिन इसके फायदे के बारे में नहीं जानते होंगे। गोरखगांजा एक जड़ी-बूटी है, और इसके कई सारे औषधीय गुण हैं। कई बीमारियों के इलाज में गोरखगांजा के फायदे मिलते हैं। आप आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से गोरखगांजा से लाभ (Polpala or Gorakshaganja) benefits and uses) ले सकते हैं। 

आइए यहां एक-एक कर जानते हैं कि गोरखगांजा के सेवन या उपयोग करने से कितनी सारी बीमारियों में फायदा होता है, साथ ही यह भी जानते हैं कि गोरखगांजा से क्या-क्या नुकसान (Polpala (Gorakshaganja) side effects) हो सकता है। 

 


गोरखगांजा (गोरखबूटी) क्या है? (What is Polpala (Gorakshaganja) in Hindi?)

गोरखबूटी का पौधा 30-60 सेमी लम्बा और सीधा होता है। इसके पौधे में अनेक तने होते हैं। गोरखगांजा के पत्ते सीधे, लम्बे और गोलाकार होते हैं। इसके फूल छोटे होते हैं। फूल का रंग हरा या पीला-सफेद होता है। इसके फल अण्डाकार और हरे रंग के होते हैं। इसके बीज चमकीले और श्यामले रंग के होते हैं। इसकी जड़ से कपूर जैसी गंध आती है। इसके पौधे में फूल और फल अगस्त से मार्च तक होता है।

यहां गोरखगांजा के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Polpala (Gorakshaganja) benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप गोरखगांजा के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।

 

अन्य भाषाओं में गोरखगांजा (गोरखबूटी) के नामः Name of Polpala (Gorakshaganja) in Different Languages

गोरखबूटी का वानस्पतिक नाम Aerva lanata (Linn.) Juss (एर्वा लॅनेटा) Syn-Achranthes lanata Linn है, और Amaranthaceae (एमेरेन्थेसी) कुल का है। इसके अन्य ये नाम भी हैंः-

Polpala (Gorakshaganja) in –

  • Hindi- गोरखगाँजा, गोरखबूटी, ठिकरीतोड़
  • English- Polpala (पोलपाला), माउण्टेन नॉट ग्रास (Mountain knot grass); 
  • Sanskrit- गोरक्षगञ्जा
  • Oriya- पाउनसिआ (Paunsia)
  • Konkanni- ताम्डलो (Tamdlo)
  • Kannada- बिली हिम्डी सोप्पू (Bili himdi soppu)
  • Gujarati- बर (Bur), कापुरीमाधुरी (Kapurimadhuri), गोरखगंजो (Gorakhganjo)
  • Tamil- सिरूपुलई (Sirupulai), चेकपुलई (Checkpulai)
  • Telugu- पिंडीकोम्डा (Pindikumda), पिंडीचेट्टू (Pindicettu)
  • Bengali- छाया (Chaya)
  • Punjabi- बुईकलान (Buikallan)
  • Marathi- कपुरमधुरा (Kapurmadhura), कुमरापिन्डी (Kumrapindi)
  • Malayalam- चेरूला (Cherula), सेरूवला (Ceruvala)
  • Rajasthani- भुई (Bhui)
  • Arabic- सेहादजरेत एल अथलेब (Sehadjaret el athleb)

 

गोरखगांजा (गोरखबूटी) के औषधीय गुण (Medicinal Properties of Polpala (Gorakshaganja) in Hindi)

गोरखगांजा के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-

गोरखगंजा तिक्त, कषाय, उष्ण, लघु, तीक्ष्ण और कफवातशामक होता है। गोरखगंजा की मूल प्रशामक और मूत्रल होती है। यह कफनिसारक, मार्दवीकारक, कृमिनिसारक और अश्मरीनाशक होता है।

पौधे का सार मूत्रलता प्रभाव को प्रदर्शित करता है। समान मात्रा में जल लेने पर भी मूत्रोत्सर्जन में विशेष वृद्धि पाई गई है। पौधे के अन्य भागों की अपेक्षा पुष्प सर्वाधिक मूत्रल क्रिया को प्रदर्शित करते हैं।

 

गोरखगांजा (गोरखबूटी) के फायदे और उपयोग (Polpala or Gorakshaganja) Benefits and Uses in Hindi)

गोरखगांजा के फायदे, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

 

गोरखगांजा के औषधीय गुण से सूजन का इलाज (Benefits of Polpala (Aervalanata) to Reduce Swelling in Hindi)

शरीर के किसी भी अंग पर सूजन हो, उसमें गोरखगांजा के औषधीय गुण से लाभ मिलता है। गोरखगांजा पंचांग को पीसकर सूजन वाले स्थान पर लगाएं। इससे सूजन में कमी आती है।

 

Benefits of Polpala (Aerva lanata) to Reduce Swelling


डायबिटीज में गोरखगांजा (गोरखबूटीके सेवन से लाभ (Polpala (Aerva lanata) Benefits to Controlling Diabetes Treatment in Hindi)

डायबिटीज के कारण व्यक्ति की जीवनशैली प्रभावित हो जाती है। गोरखबूटी  डायबिटीज में भी लाभ दिलाता है। गोरखगांजा की जड़ का काढ़ा बना लें। इसे 15-20 मिली मात्रा में सेवन करने से डायबिटीज में लाभ होता है।


दस्त में गोरखगांजा (गोरखबूटीके सेवन से लाभ (Polpala (Gorakshaganja) Benefits to Stop Diarrhea in Hindi)

आप दस्त का आयुर्वेदिक तरीके से इलाज कर  सकते हैं। इसके लिए गोरक्षगांजा पंचांग का काढ़ा बना लें। इसे 15-20 मिली मात्रा में पीने से दस्त पर रोक लगती है।


 

पीलिया में गोरखगांजा (गोरखबूटीके सेवन से लाभ (Polpala (Aerva lanata) Benefits in Fighting with Jaundice in Hindi)

पीलिया एक गंभीर बीमारी है। पीलिया में शरीर बहुत कमजोर हो जाता है। पीलिया के मरीज गोरखगांजा की जड़ का पेस्ट बना लें। इसे दही के साथ मिलाकर सेवन करें। इससे पीलिया में लाभ होता है।

 

Polpala (Aerva lanata) Benefits in Fighting with Jaundice


 

गोरखगांजा के औषधीय गुण से दाद-खाज-खुजली का इलाज (Benefits of Polpala (Gorakshaganja) to Treat Itching in Hindi)

दाद-खाज-खुजली के इलाज में गोरखबूटी का औषधीय गुण लाभदायक होता है। गोरखबूटी के पंचांग को पीसकर खुजली वाले स्थान पर लगाएं। इससे लाभ होता है।


 

किडनी की पथरी में गोरखगांजा (गोरखबूटीके फायदे (Polpala (Gorakshaganja) Uses to Treat Kidney Stone in Hindi)

  • 5-10 मिली गोरखगांजा के पत्ते के रस का सेवन करें। इससे किडनी में पथरी की बीमारी में लाभ होता है।
  • गोरखगांजा की जड़ का काढ़ा बना लें। इसे 15-20 मिली मात्रा में सेवन करने से पथरी में लाभ होता है।


 

बुखार के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है गोरखबूटी (Uses of Ayurvedic Medicine Polpala (Gorakshaganja) in Fighting with Fever in Hindi)

गोरक्षगांजा पंचांग का काढ़ा बनाकर 15-20 मिली मात्रा में पिएं। इससे बुखार ठीक हो जाता है।  उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर लें।

 

Uses of Ayurvedic Medicine Polpala (Gorakshaganja) in Fighting with Fever


 

मूत्र रोग में गोरखगांजा (गोरखबूटीके फायदे (Polpala (Aerva lanata) Uses to Treat Urinary Disease in Hindi)

गोरखगांजा की जड़ का काढ़ा बना लें। 15-20 मिली मात्रा में काढ़ा का सेवन करें। इससे मूत्र रोग जैसे पेशाब में दर्द होने और पेशाब रुक-रुक कर आने की समस्या में लाभ होता है।


 

घाव के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है गोरखबूटी(Uses of Ayurvedic Medicine Polpala (Gorakshaganja) for Healing Wound in Hindi)

घाव हो गया हो और घाव के स्थान पर दर्द भी हो रहा हो तो आप गोरखबूटी का इस्तेमाल करें। इसके लिए गोरखबूटी पंचांग को पीसकर प्रभावित स्थान में लगाएं। इससे घाव के दर्द में कमी आती है।


 

गोरखगांजा के औषधीय गुण से पेचिश का इलाज (Benefits of Polpala (Aervalanata) to Stop Dysentery in Hindi)

गोरक्षगांजा पंचांग का काढ़ा बनाकर 15-20 मिली मात्रा में पिएँ। इससे पेचिश ठीक होता है। बेहतर परिणाम के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें।

 

Benefits of Polpala (Aerva lanata) to Stop Dysentery


 

गोरखगांजा (गोरखबूटी) के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Polpala (Gorakshaganja) in Hindi)

गोरखगांजा के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-

  • पंचांग
  • जड़
  • पत्ते
  • फूल

 

गोरखगांजा (गोरखबूटी) का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Polpala (Gorakshaganja) in Hindi?)

गोरखगांजा को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-

  • काढ़ा- 20-40 मिली
  • चूर्ण- 0.5-2 ग्राम
  • रस- 5-10 मिली 

 

गोरखगांजा (गोरखबूटी) से नुकसान (Polpala (Gorakshaganja) Side Effects in Hindi)

गोरखगांजा के सेवन से ये नुकसान हो सकते हैंः-

यहां गोरखगांजा के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Polpala (Gorakshaganja) benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप गोरखगांजा के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए गोरखगांजा का सेवन करने या गोरखगांजा का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

 

गोरखगांजा (गोरखबूटी) कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Polpala (Gorakshaganja) Found or Grown?)

यह उष्णकटिबंधीय एवं उपउष्णकटिबंधीय शुष्क भागों के अलावा भारत के उष्ण प्रदेशों मुख्यत दक्षिण भारत एवं महाराष्ट्र में 900 मीटर की ऊंचाई तक प्राप्त होता है।


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