चीढ़, चीड़, धूपसरल;English : चीर पाईन (Chir pine), इमोडी पाईन (Emodi pine)Sanskrit : सरल, पीतवृक्ष, सुरभिदारुक;Kannad : सरल (Sarala)Gujrati : सरल देवदार (Sarala devdar), तेलियो देवदार (Teliyo devdar)Telugu : देवदारु चेट्टु (Daevadaaru chettu), सरल (Sarala)


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Cheed: डॉक्टर से ज़्यादा उपयोगी है चीड़- (knowledge)

Tikeshwar Rajnire

पहाड़ी इलाकों जैसे कि उत्तराखंड या हिमाचल में जब भी आप सैर के लिए जाते होंगें आपकी नजर चीड़ के ऊंचे ऊंचे पेड़ों पर पडती होगी. आयुर्वेद में इस पेड़ को सेहत के लिए बहुत उपयोगी माना गया है. चीड़ के पेड़ की लकडियां, इससे निकलने वाले तारपीन के तेल और चिपचिपे गोंद का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है. चीड़ के पेड़ से निकलने वाले गोंद को गंधविरोजा नाम से जाना जाता है. इस लेख में हम आपको चीड़ के फायदे, औषधीय गुण और उपयोग के तरीकों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं.

 


चीड़ क्या है? (What is Pine?)

हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला चीड़ के पेड़ की लम्बाई 30-35 मीटर तक की होती है. अधिकांश लोग इसकी लम्बाई और पत्तियों के आकार से ही इसे पहचान लेते हैं. इसका तना गहरे भूरे रंग का खुरदुरा गोल आकर में होता है. इसके पत्ते 3 के गुच्छे में होते हैं जिनकी लम्बाई 20-30 सेमी होती है. इसके फल देवदारु के फल जैसे ही होते हैं लेकिन ये आकार में कुछ बड़े, शंक्वाकार, पिरामिड आकार के नुकीले होते हैं। मार्च से नवम्बर के बीच में इसमें फल और फूल निकलते हैं. 

 

अन्य भाषाओं में चीड़ के नाम (Name of Pine in Different Languages)

चीड़ का वानस्पतिक नाम Pinus roxburghii Sargent (पाइनस् रॉक्सबर्घियाई) Syn-Pinus longifolia Roxb. है. यह Pinaceae (पाइनेसी) कुल का पौधा है. आइये जानते हैं कि विभिन्न भाषाओं में इस पौधे को किन नामों से जाना जाता है. 

 

Pine in : 

  • Hindi: चीढ़, चीड़, धूपसरल;
  • English : चीर पाईन (Chir pine), इमोडी पाईन (Emodi pine)
  • Sanskrit : सरल, पीतवृक्ष, सुरभिदारुक;
  • Kannad : सरल (Sarala)
  • Gujrati : सरल देवदार (Sarala devdar), तेलियो देवदार (Teliyo devdar)
  • Telugu : देवदारु चेट्टु (Daevadaaru chettu), सरल (Sarala)
  • Tamil : शिरसाल (Shirsaal), सीमाई देवदारी (Simai devadari)
  • Nepali : धूप सलसी (Dhup salasi), रानी सल्लो (Ranisallo), खोटे सलो (Khote sallo), साला (Salla); Bengali : सरलगाछ (Saralagach), तार्पीन तैलेर गाछ (Tarpin tailer gach)
  • Marathi : सरल (Saral), सरल देवदारा (Sarala devdara)      
  • Malyalam : सरलम (Saralam)
  • Arabi : सत बिरोजा (Sat biroza), शज्रतुल् बक (Shajrtul bak), सनोवर हिन्दी (Sanovar hindi);
  • Persian : समाधे सेनोबर (Samaghe sanobar), काज (Kaaz), दरख्ते वसक (Darakhte vasak)

 

चीड़ के औषधीय गुण (Medicinal Properties of Pine in Hindi)

  • चीड़ कटु, मधुर, तिक्त, उष्ण, लघु, स्निग्ध, कफवातशामक, कान्ति दायक, दुष्टव्रण शोधक, वृष्य, दीपन तथा कोष्ठशोधक होता है।
  • यह कर्णरोग, कण्ठरोग, अक्षिरोग, स्वेद, दाह, कास, मूर्च्छा, व्रण, भूतदोष कृमि, त्वक्-विकार, शोफ, कण्डू, कुष्ठ, अलक्ष्मी, व्रण, यूका, ज्वर, दौर्गन्ध्य तथा अर्शनाशक होता है।
  • चीड़ का तैल कटु, तिक्त, कषाय, दुष्टव्रण विशोधक, शुक्रमेह, कृमि, कुष्ठ, वातविकार तथा अर्श नाशक होता है।
  • अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से, पित्तविकार तथा भम को उत्पन्न करने वाला होता है।
  • इसका काष्ठ सर्पदंश, वृश्चिकदंश तथा शारीरिक दाह में लाभप्रद होता है।

 

चीड़ के फायदे एवं उपयोग (Uses and Benefits of Pine in Hindi)

चीड़ के पेड़ से निकलने वाले गोंद (गंधविरोजा) को कई रोगों के इलाज में उपयोगी पाया गया है. इसके अलावा इसकी लकडियां, छाल आदि मुंह और कान के रोगों को ठीक करने के अलावा अन्य कई समस्याओं में भी उपयोगी हैं. आइये जानते हैं कि अलग-अलग बीमारियों में चीड़ को घरेलू इलाज के रूप में कैसे इस्तेमाल करें. 

 

कान के रोगों में उपयोगी है चीड़ (Benefits of Pine for Ear Problems in Hindi)

कान से चिपचिपे तरल का स्राव होना और कान में दर्द और सूजन, ये कान से जुड़ी मुख्य समस्याएं हैं. अगर आप इन समस्याओं से परेशान रहते हैं तो चीड़ का उपयोग करें. आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार देवदारु, कूठ और सरल के काष्ठों पर क्षौम वत्र लपेट कर तिल तैल में भिगोकर जलाएं। इसे जलाने से मिलने वाले तेल की एक दो बूँद कान में डालें. यह तेल कान के दर्द, सूजन और स्राव से जल्दी आराम दिलाता है. 

kaan dard


 

मुंह के छालों को ठीक करता है चीड़ (Pine Helps in treatment of Mouth Ulcers in Hindi) 

मुंह में छालों की समस्या अक्सर गलत खानपान, पेट की गर्मी और खराब दिनचर्या के कारण होती है. घरेलू उपचारों की मदद से आप आसानी से मुंह के छालों का इलाज कर सकते हैं. चीड़ के पेड़ से प्राप्त गोंद (गंधविरोजा) का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।


 

सांस की नली में सूजन को कम करता है चीड़ (Pine Benefits for Bronchitis in Hindi)

सांस की नली में सूजन होना एक गंभीर समस्या है. विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ विशेष घरेलू उपायों की मदद से इस समस्या से राहत पायी जा सकती है. इसके लिए चीड़ के तेल से छाती पर मालिश करें. इसकी मालिश से सांस नली की सूजन कम होने के साथ साथ सर्दी-खांसी में भी फायदा मिलता है. 

 

चीड़ की लकड़ी के चूर्ण में अगरु, कूठ, सोंठ तथा देवदारु चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें। इस चूर्ण की 2-4 ग्राम मात्रा गोमूत्र या कांजी में पीसकर पिएं. इसे पीने से सर्दी-खांसी में जल्दी आराम मिलता है।


 

पेट के कीड़ों को नष्ट करता है चीड़ (Cheed or Pine kills Stomach worms in Hindi)

पेट में कीड़े होने पर रुक-रुक कर पेट में दर्द होना और भूख ना लगने जैसे लक्षण नजर आते हैं. इससे आराम पाने के लिए आप चीड़ का उपयोग कर सकते हैं. इसके लिए चीड़ के तेल में आधा भाग विडंग के चावलों का चूर्ण मिलाकर धूप में रखकर पिलाएं. इसे पिलाने और वस्ति देने से आंत से कीड़े खत्म हो जाते हैं. 

stomach pain

पेट फूलना (Bloating) : अगर आप पेट फूलने की समस्या से परेशान हैं तो चीड़ के तेल को पेट में लगाएं. इस तेल को पेट में लगाने से या वस्ति देने से पेट फूलना और बवासीर जैसी समस्याओं में फायदा मिलता है. 


लकवा के इलाज में फायदा पहुंचाता है चीड़ (Pine helps in Treatment of Paralysis in Hindi)

पिप्पली, पिप्पली की जड़, सरल और देवदारु को मिलाकर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट की 1-3 ग्राम मात्रा में 2 गुना शहद मिलाकर पीने से लकवा रोग में फायदा मिलता है। इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक के सलाह अनुसार ही करें. 


घाव को जल्दी भरने में मदद करता है चीड़ (Uses of Pine in Wound Healing in Hindi)

चीड़ के पेड़ से निकलने वाले गोंद (गंधविरोजा)  के उपयोग से घाव जल्दी ठीक होते हैं. इसके लिए गोंद को पीसकर सीधे घावों पर लगाएं. इसके प्रयोग से कुछ ही दिनों में घाव ठीक होने लगता है.  इसके अलावा चीड़ की सूचियों (Needles) को पीसकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाते हैं।

Wound Healing


 

चोट लगने पर करें चीड़ का उपयोग (Uses of Pine for Skin Minor cuts and Bruising in Hindi)

आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार चोट लगने पर चीड़ का तेल लगाना बहुत उपयोगी होता है. इस तेल को घाव पर लगाने से रक्तस्राव (ब्लीडिंग) बंद हो जाता है. इस तेल के उपयोग से घावों में पस भी नहीं बनता है और घाव जल्दी ठीक होता है। अधिक जानकारी के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें. 

 

दाद खाज खुजली को दूर करता है चीड़ (Pine Benefits for Itching and Ringworm in Hindi)

दाद की समस्या होने पर या खुजली होने पर भी आप चीड़ का उपयोग घरेलू इलाज के रूप में कर सकते हैं. इसके लिए चीड़ की गोंद (गंधविरोजा) को दाद या खुजली वाली पर लगाएं. इसके प्रयोग से कुछ ही दिनों में दाद व खुजली  की समस्या ठीक हो जाती है. 

 

बच्चों की पसली चलने की समस्या को ठीक करता है चीड़ (Uses of Pine in Treatment of Pneumonia in Hindi)

छोटे बच्चों को अक्सर सर्दी लग जाने पर या निमोनियाहोने पर पसलियां चलने की समस्या हो जाती है. इसके इलाज में आप चीड़ का उपयोग कर सकते हैं. इसके लिए चीड़ के तेल में बराबर मात्रा में सरसों का तेल मिलाकर इससे बच्चों की मालिश करें. इस तेल की मालिश से तुरंत गर्माहट मिलती है और बच्चों को जल्दी आराम मिलता है. 

 

चीड़ के उपयोगी भाग (Useful Parts of Pine in Hindi)

विशेषज्ञों के अनुसार चीड़ के निम्न भाग सेहत के लिए बहुत उपयोगी हैं. 

  • लकड़ी
  • तेल 
  • तैलीय निर्यास
  • गंधविरोजा (गोंद)

 

चीड़ का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Pine in Hindi?)

अगर आप चीड़ के चूर्ण का उपयोग का रहे हैं तो 2-3 ग्राम की मात्रा में करें वहीं अगर आप चीड़ के तेल का उपयोग कर रहे हैं तो 2-5 बूंद का प्रयोग करें. ध्यान रखें कि अगर आप किसी गंभीर बीमारी के घरेलू इलाज के रूप में चीड़ का उपयोग करने की सोच रहे हैं तो पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें. 

 

चीड़ का पेड़ कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Pine found or Grown in Hindi?)

चीड़ का पेड़ हिमालयी क्षेत्रों में कश्मीर से भूटान तक 450-1800 मी तक की ऊँचाई पर पाया जाता है. इसके अलावा यह पेड़ कुमाऊँ में 2300 मी तक की ऊँचाई पर, शिवालिक पहाड़ी क्षेत्रों, ऊटी तथा अफगानिस्तान में भी पाया जाता है।


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