अंग्रेज़ी नाम : Cobras saffron (कोबरास् सेफरॉन)संस्कृत : नागपुष्प, अहिकेशर, अहिपुष्प, भुजङ्गपुष्प, वारण, गजकेसर, नागकेशर, चाम्पेय, तुङ्ग, देववल्लभ, केशर;हिन्दी : नागकेसर, नागेसर, पीला नागकेशर, नागचम्पाउर्दू : नरमिश्का (Narmishka), नागकेसर (Nagkesar)उड़िया : नागेस्वर (Nageshvar), नागेष्वोरो (Nageshvoro)कोंकणी : नागचम्पा (Nagchampa)कन्नड़ : नागकेसरी (Nagkesari), नागसम्पिगे (Nagasampige)
Nagkesar: बेहद गुणकारी है नागकेसर – Tikeshwar rajnire (knowledge)
नागकेसर का पौधा (nagkesar plant) एक जड़ी बूटी है जिसका इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों को दूर करने में किया जाता है। आयुर्वेद में नागकेसर के प्रमुख गुणों के बारे में विस्तृत वर्णन मिलता है। इस पौधे के फल, फूल (nagkesar flower) बीज आदि सभी हिस्सों का इस्तेमाल औषधि के रुप में किया जाता है। इस लेख में हम आपको नागकेशर के फायदे, नुकसान और सेवन के तरीकों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। आइये जानते हैं :
नागकेसर क्या है (What is Nagkesar)
इसकी पत्तियां लाल रंग की होती हैं और उनका अगला हिस्सा चमकीले हरे रंग का होता है। इसके फूल (Nagkesar Flower) सफ़ेद और पीले रंग के होते हैं। इन फूलों के अन्दर पीले केसरी रंग के पुंकेसर गुच्छो में आते हैं, इन्हें ही ‘नागकेसर’ कहते हैं।
नागकेशर कसैला, तीखा, गर्म, लघु, रूक्ष, कफ-पित्तशामक, आमपाचक, व्रणरोपक तथा सन्धानकारक होता है। इसके पुंकेसर से बनने वाले एसेंशियल ऑयल में एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। इन्ही गुणों की वजह से इसका सेवन कई बीमारियों में लाभप्रद होता है। यह 18-30 मी ऊँचा, माध्यम आकार का हमेशा हरा रहने वाला एक वृक्ष (nagkesar tree) है।
अन्य भाषाओं में नागकेशर के नाम ( Name of Nagkesar in Different Languages)
नागकेशर के पौधे का वानस्पतिक नाम Mesuaferrea Linn. (मेसुआ फेरिआ) और इसके कुल का नाम Clusiaceae (क्लूसिऐसी) है। इसे अन्य भाषाओं में निम्न नामों से पुकारा जाता है।
Nagkesar in :
- अंग्रेज़ी नाम : Cobras saffron (कोबरास् सेफरॉन)
- संस्कृत : नागपुष्प, अहिकेशर, अहिपुष्प, भुजङ्गपुष्प, वारण, गजकेसर, नागकेशर, चाम्पेय, तुङ्ग, देववल्लभ, केशर;
- हिन्दी : नागकेसर, नागेसर, पीला नागकेशर, नागचम्पा
- उर्दू : नरमिश्का (Narmishka), नागकेसर (Nagkesar)
- उड़िया : नागेस्वर (Nageshvar), नागेष्वोरो (Nageshvoro)
- कोंकणी : नागचम्पा (Nagchampa)
- कन्नड़ : नागकेसरी (Nagkesari), नागसम्पिगे (Nagasampige)
- गुजराती : नागचम्पा(Nagchampa), ताम्रनागकेसर (Tamrnagkesar)
- तमिल : नौगू (Naugu), नौगलिरल (Naugliral)
- तेलुगु : नागकेसरमु (Nagkesaramu), राजपुष्पम् (Rajpushpam)
- बंगाली : नागकेसर (Nagkesar), नागेसर (Nagesar)
- नेपाली : नरिसाल (Narisal), नागेसुरी (Nagesuri)
- पंजाबी : नागेस्वर (Nageswar), नागकेसर (Nagkesar)
- मराठी : नागकेसर (Nagkesar), नागचम्पा (Nagchampa)
- मलयालम: नांगा(Nanga), नौगा (Nauga)
- अंग्रेजी : सेलॉन आयरन वूड (Ceylon iron wood)
- अरबी : मिस्कुरुम्मान (Miskurumman), नारेमिश्क (Naremisk)
- फारसी: नारेमुश्क (Naremushk), नार्मीश्का (Narmiska)
नागकेसर के फायदे और सेवन का तरीका (Nagkesar Benefits and uses in Hindi)
नागकेशर (Nagkesar Plant) में औषधीय गुण होने की वजह से कई तरह की बीमारियों में इसे घरेलू उपाय के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह बुखार, वात संबंधी रोगों, सिर दर्द, गले के रोगों और ह्रदय से जुड़े रोगों में काफी फायदेमंद है। इन गुणों के अलावा भी नागकेसर के कई फायदे हैं जिनके बारे में आगे हम आपको बहुत ही आसान भाषा में (nagkesar benefits in hindi) बता रहे हैं। आइये नागकेसर के प्रमुख फायदों के बारे में जानते हैं।
हिचकी रोकने में सहायक है नागकेसर (Nagkesar Uses to stop Hiccups)
हिचकियाँ कभी भी अचानक शुरु हो जाती हैं और फिर जल्दी रूकती नहीं है। हालांकि ऐसे कई घरेलू उपाय हैं जिनकी मदद से आप हिचकियों को रोक सकते हैं। नागकेशर का उपयोग करना भी उन्हीं में से एक है। इसके लिए 500 mg नागकेसर के सूक्ष्म चूर्ण (nagkesar churna) में 1-1 ग्राम शहद एवं मिश्री मिलाकर सेवन करके अनुपान में गन्ने या महुवे के रस का सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।
खांसी और सांस संबंधी रोगों से आराम (Nagakesara Uses in Cough and respiratory disorders)
नागकेसर में ऐसे गुण होते हैं जिनकी वजह से खांसी और सांसो से जुड़े रोगों में फायदा मिलता है। यह फेफड़ों की सूजन को कम करने में भी लाभकारी है। इसके लिए नागकेशर मूल और छाल का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पिएं। जब तक समस्या से आराम न मिल जाए नियमित इस काढ़े का सेवन करते रहें।
सर्दी-जुकाम में लाभकारी है नागकेशर (Nag kesar Help to Relief from Cold and cough)
खांसी दूर करने के अलावा नागकेसर का सेवन करने से सर्दी जुकाम में भी जल्दी आराम मिलता है। जुकाम होने पर नागकेसर के पत्तों के पेस्ट को सिर पर लगाएं। इसे लगाने से सर्दी-जुकाम में लाभ होता है।
दस्त के साथ खून आने की समस्या से आराम (Nagakesara Uses for Bloody Diarrhea in Hindi)
खराब खानपान, पेट में ज्यादा गर्मी या अन्य कारणों से दस्त के साथ-साथ खून भी निकलने लगता है। अक्सर बच्चे इस समस्या से ज्यादा पीड़ित रहते हैं, हालांकि बड़ों में भी यह समस्या होना आम बात है। दस्त में खून की समस्या से आराम दिलाने में नागकेशर बहुत कारगर है। इसके लिए 250-500 मिग्रा नागकेसर चूर्ण (nagkesar churna) को शहद युक्त मक्खन के साथ या चीनी-युक्त मक्खन के साथ सेवन करने से मल में खून निकलने की समस्या से आराम मिलता है।
पेट से जुड़े रोगों में फायदेमंद (Nagkesar benefits for Indigestion and acidity in hindi)
आज कल की ख़राब जीवनशैली और खानपान की वजह से अधिकांश लोगों का हाजमा बिगड़ा हुआ रहता है। पाचन तंत्र के ठीक तरीके से काम ना करने की वजह से पेट से जुड़ी कई समस्याएं जैसे कि अपच, एसिडिटी या पेट में जलन जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इन समस्याओं से आराम दिलाने में नागकेसर बहुत उपयोगी (nagkesar ke fayde) है. इसके लिए नियमित 0.5-1 ग्राम नागकेशर फल चूर्ण का सेवन करें।
दस्त से आराम दिलाता है नागकेसर ( Nagkesar benefits for Dysentery in Hindi)
अगर आप दस्त से पीड़ित हैं तो नागकेसर का सेवन करें। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार इसके सेवन से दस्त से जल्दी आराम मिलता है। दस्त से आराम पाने के लिए 500 mg पुष्पकलिका (nagkesar ka phool) चूर्ण का सेवन करें।
श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिया से आराम दिलाता है नागकेशर (Nagkesar Uses to get relieve in Leukorrhea)
ल्यूकोरिया या श्वेत प्रदर महिलाओं से जुड़ी एक बीमारी है। जिसमें योनि से गाढ़ा सफ़ेद रंग का तरल निकलने लगता है। इसे सफ़ेद पानी की समस्या भी कहा जाता है। अगर आप इस ल्यूकोरिया से पीड़ित हैं तो नागकेसर आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार नागकेशर के 500 mg चूर्ण को मट्ठा में मिलाकर सेवन करने से ल्यूकोरिया में लाभ होता है।
माहवारी में होने वाली अधिक ब्लीडिंग से आराम (Nagkesar benefits in Menorrhagia in Hindi)
कई महिलाओं को माहवारी के दौरान बहुत ज्यादा मात्रा में रक्त स्राव होने लगता है। हालांकि माहवारी में रक्तस्राव होना आम बात है लेकिन बहुत अधिक मात्रा में रक्तस्राव होना एक समस्या है। इस समस्या को मेनोरेजिया नाम से भी जाना जाता है। अगर आप इस समस्या से पीड़ित हैं तो इस प्रकार नागकेसर का उपयोग करें। इसके लिए 250-500 mg नागकेसर चूर्ण को मट्ठे के साथ तीन दिन तक सेवन करें। इसके अलावा रोजाना के आहार में मठ्ठे का सेवन करें। ऐसा करने से मेनोरेजिया की समस्या में जल्दी आराम मिलता है।
जोड़ों के दर्द से आराम दिलाएं नागकेसर (Nagkesar helps to get relief from Joint Pain)
बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों में दर्द होना एक आम समस्या है लेकिन आज के दौर में युवाओं में भी यह समस्या होने लगी है। आर्थराइटिस के मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में घरेलू उपायों की मदद से आप काफी हद तक जोड़ों के दर्द की समस्या को कम कर सकते हैं। इसके लिए नागकेसर के बीजों के तेल को जोड़ों पर या दर्द वाली जगह पर लगाएं और मालिश करें। इस तेल की मालिश से जोड़ों के दर्द से जल्दी राहत (nagkesar ke fayde) मिलती है।
घाव को जल्दी भरने में सहायक है नागकेसर (Nagkesar Helps to Heal the Wound in hindi)
अगर आपकी त्वचा पर कहीं घाव हो गया है तो नागकेसर के लाभ इस रोग में ले सकते हैं। इसके लिए घाव पर नागकेसर का तेल लगाएं। इस तेल को लगाने से घाव जल्दी भरने लगता है।
शीतपित्त के इलाज में सहायक नागकेसर (Nagkesar Beneficial to Treat Hives in Hindi)
नागकेसर का प्रयोग त्वचा संबंधी रोगों जैसे शीतपित्त के लक्षणों को रोकने में किया जाता है, क्योंकि इसके तेल में शोधहर गुण होता है साथ ही आयुर्वेद के अनुसार ये कण्डुघ्न यानि खुजली को दूर करने वाला होता है।
हैजा के उपचार में नागकेसर के फायदे (Benefit of Nagkesar in Cholera in Hindi)
हैजा के लक्षणों को कम करने में नागकेशर फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि नागकेसर में एन्टीबैट्रिअल गुण पाया जाता है जिससे इसका सेवन हैजा में फायदेमंद हो सकता है।
चेहरे के दाग और खाज खुजली में नागकेसर के फायदे (Nagkesar Beneficial to Treat Pigmentation, Ringworm and Scabies in Hindi)
नागकेसर का प्रयोग त्वचा के रोग जैसे खाज -खुजली में फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इसमें कण्डुघ्न का गुण होता है जो खुजली को शांत करने में मदद करता है।
आमाशय की जलन (गैस्ट्रिक) में नागकेसर के फायदे (Nagkesar Beneficial in Gastritis in Hindi)
नागकेसर का सेवन अपचन के कारण होने वाली आमाशय की जलन (गैस्ट्रिक) के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है, क्योंकि इसमें पाचन का गुण पाया जाता है जो खाने को पचाने में मदद करता है जिसे आमाशय की जलन कम होती है।
दिल के स्वास्थ्य के लिए नागकेसर लाभदायक (Nagkesar Beneficial to Keep Heart Healthy in Hindi)
नागकेसर का सेवन दिल के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हो सकता है, क्योंकि इसमें आयुर्वेद के अनुसार आम पाचन का गुण होता है जो कि आम को पचाकर कोलेस्ट्रॉल जैसे तत्वो को बनने से रोकता है और दिल को हाई कोलेस्ट्रॉल के हानिकारक प्रभाव से बचाता है।
अस्थमा के इलाज के लिए नागकेसर के लाभ (Benefit of Nagkesar to Treat Asthma in Hindi)
नागकेसर का प्रयोग अस्थमा के लक्षणों को भी कम करने में किया जाता है क्योंकि नागकेसर में कफ के शमन का गुण पाया जाता है जो कफ को शांत कर अस्थमा के लक्षणों को कम करता है।
कमर दर्द से राहत दिलाये नागकेसर ( Nagkesar benefits for Back pain in Hindi)
क्या आप भी कमर दर्द की समस्या से परेशान रहते हैं? अगर ऐसा है तो आपको नागकेसर का उपयोग करना चाहिए। नागकेसर में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो कमर दर्द से जल्दी राहत दिलाने में मदद करते हैं। कमर दर्द होने पर नागकेसर के बीज से बने तेल को कमर पर लगाएं और मालिश करें। इसकी मालिश से दर्द जल्दी दूर हो जाता है।
सांप के काटने के इलाज में उपयोगी है नागकेसर (Nagkesar benefits in Treatment of Snake Bite)
सांप द्वारा काट लेने पर लोग इतना घबरा जाते हैं कि वे समझ नहीं पाते कि उस समय किन चीजों का उपयोग किया जाए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नागकेसर के लाभ से साप के जहर के प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसके लिए जिस जगह पर सांप ने काटा हो उस जगह पर नागकेशर के पत्तियों को पीसकर उसका लेप लगाएं। इस लेप को लगाने से दर्द और जलन से भी राहत (nagkesar ke fayde) मिलती है।
नागकेसर की खुराक (Dosage of Nagkesar )
नागकेसर का औषधीय इस्तेमाल सामान्य तौर पर निम्न मात्रा के अनुसार करना चाहिए।
- चूर्ण : 250-500 mg
- काढ़ा : 10-20 ml
यदि आप किसी बीमारी के इलाज के रूप में नागकेशर का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका सेवन करें।
नागकेसर कहां पाया या उगाया जाता है (Where is the Nagkesar found or grown)
नागकेसर का पौधा (Nagkesar Tree) विश्व में दक्षिण पूर्व, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, इण्डोनेशिया, मलेशिया, कम्बोडिया, वियतनाम, मलक्का तथा थाईलैण्ड में पाया जाता है। भारत में यह पूर्वोत्तर हिमालय प्रदेश, दक्षिण भारत पूर्वी एवं पश्चिमी प्रायद्वीप, आसाम, पूर्वी एवं पश्चिमी बंगाल, कोंकण, कर्नाटक, अण्डमान में 1600 मी की ऊँचाई पर पाया जाता है।
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