कनेर काफूल - (पौधा, पत्तियां ,छाल, बीज और जड़ विषैली )
कनेर का फूल - (पौधा, पत्तियां ,छाल, बीज और जड़ विषैली )
कनेर का फूल मशहूर फूलों मंे से एक है जो गर्मियों के मौसम में ही खिलते हैं । कनेर की चार प्रजातियां सफेद, लाल, गुलाबी और पीली हैं । सफेद कनेर औषधि के उपयोग में बहुत आता है । कनेर के पेड़ को कुरेदने या तोड़ने से दूध निकलता है । कनेर के पेड़ के बारे में कहा जाता है कि सांप इसके पेड़ के आस पास भी नहीं आता है । कनेर को जानवर नहीं खाते हैं इसलिये सड़क मार्ग पर शोभा हेतु बहुतायत से लगाया जाता है । सफेद और लाल फूल वाली देशी कनेर को औषधि (विष से दवा ) के रूप में अधिक उपयोगी होती है । सफेद कनेर के फूल और जड़ को पीस कर पिलाने से सर्पदंश में लाभ होता है । गणपति की आराधना के लिए लाल कनेर अर्पित किये जाते हैं साथ में दूब भी । लाल कनेर में बुद्धि-बल को विकसित करने के तत्व हैं । लाल कनेर की छाल से त्वचा रोग की औषधियां बनायी जाती हैं ।
पीली कनेर - इसमेें पीले फूल लगते हैं तथा पत्तियों लम्बी व पतली होती हैं । पीली कनेर का दूध विषैला होता है और अधिकतर औषधि बनाने के लिए उपयोग किया जाता है । कनेर के बीज में जहर डाइगाक्सीन होता है जो दिल की धड़कन को कम करता है । भगवान शिव जी की कनेर के फूलों से पूजा करने से भक्त को सुन्दर वस्त्रों की इच्छा को पूरा करती है ।
कनेर (थिविलिया प्रवेनिया) सफेद कनेर के फूल का प्रयोग फेशियल एवं उबटन के रूप किया जाता है । कनेर के फूल को बेहद पवित्र माना जाता है । इसलिए यह आज भी विभिन्न धार्मिक स्ािलों में बहुतायत में पाया जाता है । वैसे तो कनेर का संपूर्ण पौधा विष युक्त होता है । इसके फल, मूल एवं बीज में ग्लाइकोसाइडो, नेरिओडोरिन एवं कैरोबिन , स्कापोलिन पाया जाता है । कनेर के पीले फूलों में पेरूबोसाइड भी होता है ।
डाॅ. माइकल एडलेस्टन (श्री लंका) का कहना है कि कनेर का एक बीज जान लेने के लिए काफी है । कनेर का जहर डाइगाक्सीन ड्रग की तरह है । डाइगाक्सीन दिल की धड़कन की रतार कम करता है । कनेर का एक बीज डाइगाक्सीन के सौ टेबलेट के बराबर होता है । पहले तो यह दिल की धड़कन को धीमा करता है और आखिरकार एकदम रोक देता है । डाइगाक्सीन के जहर के खिलाफ एंटीडाइगाक्सीन का उपयोग नहीं किया जाता क्योंकि यह महंगा है इस पर करीब तीन हजार डालर का खर्च आता है ।
.सफेद एवं लाल कनेर की पत्तियों का काढ़ा बनाकर घाव धोने से यह जल्दी भर जाता है । इसके पत्ते को पीस कर तेल में मिलाकर लेप करने से जोड़ों का दर्द दूर होता है । कनेर के पत्तों से सिद्ध तेल खुजली के लिए बनाया जाता है जो बहुत फायदेमंद होता है । श्रावण सोमवार में शिव जी को प्रसन्न करने के लिए मेष व वृश्चिक राशि वाले 109 बार करने के गुलाबी या लाल फूलों को चढ़ाते हुए मंत्र
अनेक भाषाओं में पीला कनेर के नाम (Name of Yellow Oleander in Different Languages)
Yellow Oleander in –
पीला कनेर का वानस्पतिक नाम Thevetia peruviana (Pers.) Schum. (थिवेटिआ पेरूवियाना) Syn-Thevetia neriifolia Juss. ex DC., Cascabela thevetia (Linn.) Lippold है और यह Apocynaceae (ऐपोसाइनेसी) कुल का है। पीला कनेर को देश-विदेश में इन नामों से भी जाना जाता हैः-
- Hindi-पीला कनेर
- Sanskrit-पीत करवीर, दिव्य-फूल
- English – Yellow Oleander (येलो ओलिएन्डर), एक्जाइल ट्री (Exile tree), लक्की नट ट्री (Lucky nut tree)
- Oriya-कोनयार फूल (Konyar phul)
- Kannada-कडुकासी (Kadukasi)
- Gujarati-पीला कनेर (Pili kaner)
- Telugu-पच्चागन्नेरु (Pachchaganeru)
- Tamil-पचैयलरि (Pachaiyalari)
- Bengali-कोकलाफूल (Koklaphul), कोकीलफूल (Kokilphul), कलके फूल (Kalke phul)
- Nepali-पीलो कनेर (Pelo kaner)
- Marathi–पिंवलकण्हेर (Pivalakanher)
- Malayalam-पच्चारली (Pachchaarali)
🔥⛵💵⒆⛵出🎿凸
टिप्पणियाँ